Kisan Andolan: ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा के बाद से ही फ्रंटफुट पर आई पुलिस और प्रशासन दोनों को अपने कदम पीछे खींचने पड़े हैं। सरकार ने गाजीपुर बॉर्डर को खाली करवाने की सारी तैयारी कर ली थी, लेकिन टिकैत के आंसूओं से सहानुभूति की लहर चली और किसाने एक बार फिर गाजीपुर बार्डर पर इकट्ठा हो गए और पुलिस फोर्स को रात में ही बैरंग लौटना पड़ा।
गाजीपुर बॉर्डर पर इकट्ठा हुए किसान
दरअसल, गाजियाबाद प्रशासन ने प्रदर्शनकारी किसानों को गुरुवार आधी रात तक यूपी गेट खाली करने का अल्टीमेटम दिया था। इसके बाद गुरुवार शाम को टकराव की स्थिति के बीच भारी संख्या में सुरक्षाबल तैनात किया था। पूरे इलाके को छावनी में बदल दिया गया था। दहशत के साये में कुछ किसान अपना बोरिया-बिस्तर तक समेटने लगे थे। लेकिन अचानक गाजीपुर बॉर्डर का माहौल ही बदल गया। किसान नेता राकेश टिकैत मीडिया के सामने आंसू बहाने लगे और कहा कि वह आत्महत्या कर लेंगे लेकिन आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे। टिकैत के आंसू माहौल को बदल देते हैं। जैसे ही राकेश टिकैत के रोने की तस्वीर सामने आई, करीब 5000 से अधिक किसान उनका समर्थन करने के लिए धरनास्थल पर इकट्ठा होने लगे।
राजनीतिक दलों का मिला समर्थन
टिकैत के आंसू ने असर दिखाया और मेरठ, बागपत सहित पश्चिम उत्तर प्रदेश के हजारों किसानों ने दिल्ली की ओर कूच कर दिया। मुजफ्फरनगर में राकेश टिकैत की पीसी के बाद आक्रेश बढ़ गया। खाप पंचायतें सक्रिय हुई और इस बात का फैसला किया गया कि शुक्रवार को 11 बजे मुजफ्फरनगर में महापंचायत होगा और किसान आंदोलन के आगे की योजना बनाई जाएगी। किसानों के आक्रोश को भुनाने में राजनीतिक दल भी आगे आ गए और कांग्रेस, आरएलडी समेत कई दलों के नेताओं का समर्थन किसानों को मिला।
पुलिस करेगी महापंचायत का इंतजार
इस ड्रामे का नतीजा यह हुआ कि सख्त हो रही पुलिस को एक बार फिर अपने कदम पीछे खींचने पड़े। देर रात पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स को वापस लौटना पड़ा। अब पुलिस प्रशासन महापंचायत में क्या फैसला होता है और किसान आंदोलन किस दिशा में आगे बढ़ेगा, इन सबका ध्यान रखते हुए ही आगे का कदम उठाएगी।