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Kharmas: शुरू हो चुका है खरमास, जानिए क्या करें और क्या न करें

Kharmas: सूर्य के 14 मार्च को मीन राशि में प्रवेश हो चुका है। सूर्य के गोचर को संक्रांति कहा जाता है। इसलिए सूर्य का मीन राशि में गोचर करना मीन संक्रांति कहलाता है। सूर्य के इस गोचर के दौरान खरमास का प्रारंभ होता हैं। खरमास में मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है। सूर्य मीन राशि में 14 मार्च से 13 अप्रेल तक रहेंगे। इस दौरान मांगलिक कार्य शादी-विवाह, भूमि पूजन और गृह प्रवेश संपन्न नहीं होंगे।

मांगलिक कार्य नहीं होंगे

शास्त्रों के अनुसार, खरमास के दौरान शुभ और मांगलिक कार्यों को करने से अशुभ फल की प्राप्ति होती है। इस दौरान गृह निर्माण और संपत्ति का क्रय-विक्रय भी वर्जित होता है। मान्यता है कि खरमास में नया कार्य आरंभ करने से जातक को परेशानियों का सामना करना पड़ता है और उस कार्य में सफलता की संभावना काफी कम हो जाती है। इस समय विवाह करने से संबंधों में समस्या हो जाती है।

सूर्यदेव की आराधना है फलदायी

खरमास के दौरान देव उपासना का बड़ा महत्व है। इस समय सूर्यदेव की आराधना विशेष फलदायी होती है। सूर्य भगवान की कृपा से यश, कीर्ति और आरोग्य की प्राप्ति होती है। खरमास में भगवान विष्णु की पूजा करने से धन-समृद्धि की प्राप्ति होती है और आर्थिक मामलों में सफलता मिलती है। खरमास के दौरान ब्राह्मण, गुरु, गाय और साधुओं की सेवा करने से भी उत्तम फल की प्राप्ति होती है। इस दौरान सूर्योदय के पूर्व उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर देव आराधना करना चाहिए।

तामसिक आहार का करें त्याग

खरमास में तामसिक आहार का त्याग करना चाहिए। इस समय मांस-मदिरा नहीं ग्रहण करना चाहिए। जमीन पर शयन करना चाहिए और बर्तनों का त्याग कर पत्तल पर भोजन करना चाहिए। क्रोध और झूठ से बचना चाहिए।

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