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Child health: मप्र में शिशु मृत्यु दर पर काबू पाने के लिए अनोखा प्रयोग कंगारू मदर केयर (Kangaroo mother care)

Kangaroo mother care

Kangaroo mother care: मप्र के चाइल्ड हेल्थ डिपार्टमेंट ने पिता में भी ममत्व की खोज की है। प्री मैच्योर, कम वजन वाले और बीमार नवजातों को कंगारू मदर केयर (Kangaroo mother care) देने के लिए बच्चे के पिता को प्रेरित किया जा रहा है। इसके अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। इससे शिशु मृत्यु दर कम करने में मदद मिलेगी।

Kangaroo mother care: इंदौर। मप्र में इन दिनों प्री मैच्योर नवजातों बचाने के लिए पहल शुरू की गई है। वजह यह है कि प्रदेश में शिशु मृत्यु दर बहुत ज्यादा है। हर वर्ष एक हजार में से 33 नवजातों की एक माह के अंदर ही मौत हो जाती है। आंकड़ों के मुताबिक मप्र में 57 एसएनसीयू (SNCU) यानी गहन चिकित्सा इकाई में हर साल एक लाख बच्चों की भर्ती कराना पड़ता है, लेकिन 64,400 बच्चे दम तोड़ देते हैं।

इस लिहाज से नवजातों की मौत का रोजाना का आंकड़ा 176 के करीब है। ऐसे में मप्र में प्री मैच्योर नवजातों को बचाने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत हाल ही में कंगारू मदर केयर (केएमसी) की शुरुआत की गई है। इसके तरह बच्चे को मां या घर की महिलाएं अपने शरीर की गर्मी देती हैं।

इसमें बच्चे को निर्वस्त्र रखा जाता है और मां या परिवार की कोई भी महिला उसे अपनी छाती से चिपकाकर रखती है। यानी त्वचा के त्वचा का संपर्क। इससे बच्चे को जहां गर्मी मिलती है, वहीं उसे अच्छी नींद भी आती है। अच्छी नींद आने से बच्चे का वजन बढ़ने लगता है।

ऑस्ट्रेलिया प्राणी कंगारू भी इसी तरह से अपने बच्चे की देखभाल करता है। इसलिए इस थेरेपी को कंगारू मदर केयर थेरेपी कहा जाता है। मप्र में खास बात यह हुई है कि बच्चे को गर्मी देने की इस थेरेपी में किसी महिला की बजाय बच्चे के पिता को शामिल किया जा रहा है। यानी बच्चे को ममता अब पिता दे रहे हैं। प्रदेश डॉक्टरों की पहल पर पिता भी मां की भूमिका निभा रहे हैं। इससे अच्छे रिजल्ट भी मिल रहे हैं।

90 प्रतिशत कम हो सकती है शिशु मृत्यु दर

मप्र के चाइल्ड हेल्थ डिपार्टमेंट का मानना है कि कंगारू मदर केयर थैरेपी प्री मैच्योर, कम वजन के और बीमार नवजातों के लिए वरदान साबित हो सकती है। मप्र के कई जिलों में इसकी शुरुआत हो गई है। इस पहल के पीछे मकसद यही है कि प्रदेश में शिशु मृत्यु दर को कम किया जाए। डब्ल्यूएचओ का भी कहना है कि (Kangaroo mother care) इस थैरेपी से शिशु मृत्यु दर को 90 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। साथ ही यह इन्क्यूबेटर से भी ज्यादा सुरक्षित है।

दमोह में पिता बन रहे कंगारू मदर

मप्र के दमोह में कंगारू मदर केयर (Kangaroo mother care) थैरेपी में अब पिता को भी शामिल किया गया है। ऐसा अभिनव प्रयोग करने वाला दमोह मप्र का पहला जिला बन गया है। यह अनोखी पहल दमोह जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने की है। वहां एसएनसीयू के इंचार्ज डॉ. सोनू शर्मा की देखरेख में यह काम शुरू हुआ है।

बच्चे के साथ पिता और मां को भी लाभ

दमोह जिला अस्पताल में कंगारू मदर केयर (Kangaroo mother care) थैरेपी में पिता को शामिल करने से जहां बच्चों की सेहत में सुधार हो रहा है, वहीं पिता को भी इसका लाभ मिल रहा है। पिता की भावनाएं बच्चे से ज्यादा जुड़ रही है। साथ ही जब पिता बच्चे को कंगारू मदर केयर थेरेपी देते हैं तो वे बच्चे की सुरक्षा के लिए उस समय किसी भी तरह के नशे से दूर रहते है। कुछ पिता तो ऐसे भी हैं जिन्होंने हमेशा के लिए नशा छोड़ने का मन बना लिया है।

डॉ. सोनू शर्मा इस बात की पुष्टि करते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में बच्चे की मां को आराम करने का मौका मिल जाता है। इससे जच्चा-बच्चा दोनों की सेहत जल्दी सुधर जाती है तो अस्पताल से भी जल्दी छुट्टी मिल जाती है।

मप्र में कहां-कहां हुई शुरुआत

मप्र में एनएचएम यानी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने यह प्रयोग शुरू किया है। इसे एफपीसी यानी फैमिली पार्टिसिपेटरी केयर के तहत किया जा रहा है। एमपी के 61 एसएनसीयू, एनबीएसयू और पीएनसी वार्ड में यह मुहिम शुरू हुई है।

इस तरह दी जाती है यह थैरेपी

केएमसी यानी कंगारू मदर केयर (Kangaroo mother care) के बारे में डॉक्टरों का कहना है कि नवजात को रोजाना 4 से 12 घंटे तक यह थैरेपी दी जाती है। बच्चे को केएमसी परिवार को कोई भी सदस्य दे सकता है। चाहे वह महिला हो या पुरुष। बच्चे के जन्म लेने के तुरंत बाद इसे शुरू कर दिया जाता है तो इसके और बेहतर परिणाम मिलते हैं, क्योंकि उसी समय बच्चे को इसकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है।

वजह यह होती है कि जन्म के तुरंत बाद बच्चे के शरीर का तापमान कम होने लगता है। यदि उसे तुरंत केएमसी न दी जाए तो उसकी जान जा सकती है। इसलिए बच्चे के जन्म लेते ही उसे मां की छाती से चिपका दिया जाता है।

केएमसी से बच्चे को होने वाले फायदे

-हाईपोथर्मिया से बचाव, इन्फेक्शन का असर कम होना, केएमसी देने वाले से भावनात्मक रिश्ता, बच्चे के ब्रेन पर पॉजिटिव प्रभाव

इन्क्यूबेटर से बेहतर क्यों ?

कंगारू मदर केयर की खासियत यह है कि इससे मां या पिता के शरीर के तापमान के मुताबिक बच्चे के शरीर का तापमान परिवर्तित होता है। वहीं इन्क्यूबेटर में बच्चे के शरीर का तापमान एक समान बना रहता है। इससे कई बार नवजात के ब्रेन में पाए जाने वाले न्यूरान पर गलत प्रभाव पड़ता है।


मिल रहे अच्छे रिजल्ट

प्री मैच्योर या बीमार नवजात को माता-पिता का स्पर्श मिलता है तो उसकी सेहत में तेजी से सुधार होता है। प्रदेश के जिन जिलों में यह पहल हुई हैं, वहां इसके अच्छे रिजल्ट सामने आ रहे हैं।
-डॉ. हिमानी यादव, डिप्टी डायरेक्टर चाइल्ड हेल्थ, मप्र

भावनात्मक रिश्ता प्रगाढ़ होता है

केएमसी यानी कंगारू मदर केयर में अब बच्चे के पिता को शामिल किया जा रहा है। इससे बच्चे और पिता में भावनात्मक रिश्ता भी प्रगाढ़ होता है। इस थैरेपी से बच्चे का वजन बढ़ता है और उसका मानसिक विकास होता है।
-डॉ. विशाल शुक्ला, आरएमओ, दमोह

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