कमल नाथ को भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अपना बेटा मानती थी। क्योंकि वह संजय गांधी के सबसे अच्छें दोस्त थे। उनके एक बार कहने पर ही कमल नाथ छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ने के लिए मान गए थे। इतना ही नही गांधी परिवार ने भी उनका साथ कभी नही छोड़ा उन्हें केंद्रिय कैबिनेट मंत्री तक बनाया। और आज भी कांग्रेस पार्टी के अधिकांश निर्णय में कमल नाथ को भी शामिल किया जाता हैं।
उत्तरप्रदेश में हुआ था कमल नाथ का जन्म
कमल नाथ का जन्म 18 नवंबर 1946 को उत्तरप्रदेश के कानपुर शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम महेंद्र नाथ और माता का नाम लीला नाथ था। कमल नाथ का जन्म आर्थिक रूप से संपन्न परिवार में हुआ था, उनके दादा केदार नाथ का गहनों का कारोबार था। कमल नाथ के जन्म के कुछ सालों बाद ही पूरा परिवार कोलकाता, पश्चिम बंगाल में जा बसा। दादा केदार नाथ ने अतरछेड़ी गांव में एक हवेली का भी निर्माण किया था जो अभी तक हैं।
संजय गांधी के साथ स्कूल में पढ़ते थे कमल नाथ
कमल नाथ की शिक्षा देहरादून के एक स्कूल से हुई थी, यह स्कूल देश में काफी प्रसिध्द था। इसी स्कूल से राजीव गांधी और संजय गांधी ने शिक्षा ली थी। संजय गांधी और कमल नाथ के बीच इसी स्कूल से घनिष्ट मित्रता हो गई थी। लोग कमल नाथ को इंदिरा गांधी का तीसरा बेटा भी कहते हैं। स्कूल शिक्षा पूरी होने के बाद कमल नाथ ने कोलकाता के सेंट जेवियर कॉलेज से अपना ग्रेजुएशन पूरा किया। लेकिन यह ग्रेजुएशन तो सिर्फ नाम मात्र के लिए था, उन्होंने राजनीति को अपने करियर के रूप में चुन लिया था। कमल नाथ इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी की परछाईं की तरह रहते थे। उनके हर दौरे पर कमल नाथ साथ जाया करते थे। आपातकाल के समय कमल नाथ ने अपनी उपयोगिता भी साबित की। 1980 में संजय गांधी की असमय मृत्यु के समय भी कमल नाथ ने अपने कार्य से गाँधी परिवार को प्रभावित किया और परिवार का अटूट हिस्सा बन गए।
छिंदवाड़ा से लड़ा था पहला चुनाव
इंदिरा गांधी के कहने पर कमल नाथ ने अपना पहला चुनाव 1979 में छिंदवाड़ा से सांसद पद के लिए लड़ा था। कमल नाथ 34 साल की उम्र में छिंदवाड़ा जिले से पहली बार सांसद के रूप में चुने गए। तब से लेकर आज तक वह 9 बार छिंदवाड़ा से सांसद रह चुके हैं। 1996 हवाला कांड में नाम आने से उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा औऱ तो उनकी पत्नी अलका ने छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ा और सांसद चुनी गई। 1 साल बाद हवाला कांड से बरी होने के बाद पत्नी से इस्तीफा दिला कर चुनाव लड़े लेकिन भाजपा के सुंदरलाल पटवा ने उन्हें हरा दिया। कमल नाथ कई वर्षों तक देश के कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं।
युवक कांग्रेस से की थी राजनितिक करियर की शुरुआत
कमल नाथ ने 1968 में युवक कांग्रेस में प्रवेश कर राजनितिक करियर की शुरुआत की थी। उसके बाद इन्हें 1976 में उत्तरप्रदेश युवा कांग्रेस का प्रभार मिला था। वर्ष 1970 से लेकर 1981 तक कमल नाथ अखिल भारतीय युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य रहे। उसके बाद वर्ष 2000 से लेकर 2018 तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव पद पर भी रहे हैं। वर्तमान में कमल नाथ मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हैं। कमल नाथ ने वर्ल्ड इकोनॉमी फोरम में 14 बार लगातार भारत का नेतृत्व किया था। वर्ष 1972 में बांग्लादेश की आजादी में योगदान के लिए बांग्लादेश के प्रधानमंत्री द्वारा प्रशस्ति पत्र कमल नाथ को दिया गया था। वर्ष 2006 में जबलपुर के रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि देकर सम्मानित किया गया था।
देश के 5 सबसे अमीर राजनेताओं में शामिल हैं कमल नाथ
कमल नाथ की गिनती भारत के शीर्ष 5 सबसे अमीर राजनेताओं में की जाती हैं। 2011 में उन्होंने अपनी सम्पत्ति की जानकारी उजागर की थी, जिसके अनुसार वह 273 करोड़ रूपए और 23 कंपनियों के मालिक हैं। यह कंपनियां पत्नी अलका नाथ और बेटे नकुल नाथ व बकुल नाथ चलाते हैं।