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भगवान हनुमान की मूर्ति पर लिखा काजीबल अब्दुल रज्जाक, शरारत या साजिश ?

भगवान हनुमान की मुर्ति के साथ छेड़छाड़

इंदौर. हम सभी जानते है भारत देश एक धर्म निरपेक्ष देश है, यहाँ सभी धर्मो को बराबर दर्जा मिला हुआ है। लेकिन आज के दौर में लगातार कहीं ना कहीं हमें यह भी देखने को मिल रहा है कि चंद लोग धर्म के नाम पर सियासी रोटी सेकने के साथ ही नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं।

पिछले कुछ सालों में देश को बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसमें सभी मुद्दों की टहनी किसी ना किसी रूप में धर्म और कौम की जड़ो से जुड़ी हुई है। अमन और शांति के नाम का हवाला देकर लगातार नफरत की जंग से पूरा देश आज इस मोड़ पर खड़ा है, जहाँ कोई भी धर्म अपने आप को सुरक्षित मानने को तैयार नहीं है।

इंदौर शहर में धार्मिक ताल-मेल बिगड़ने की साजिश

इसका जीता जागता उदाहरण पूर्व उपराष्ट्रपति के मुख से निकला बयान है, जहां वह यह कहते हुए पाए गए की हिंदुस्तान में हर मुस्लिम अपने आप को असुरक्षित मानता है। जब देश की इतनी बड़ी पदवी पर बैठा व्यक्ति ऐसी बात करता है तो हर उस व्यक्ति को आत्मविश्वास की प्राप्ति होती है जो धर्म के नाम पर अपने दिल में नफरत का आशियाना समाये हुए है।

इंदौर जैसा शहर जो लगातार विकास की और अग्रसर है, वहां कुछ ऐसी घटना घटी जो सिर्फ शहर तो क्या इस पुरे देश में दंगे की आग भड़काने का काम कर सकती है। रीगल तिराहा स्थित फैशन डिज़ाइनर आसिफ शाह के शोरूम के बाहर स्थित हनुमान जी कि मूर्ति के साथ कुछ इस कदर छेड़छाड़ हुई कि शायद इस देश का हर व्यक्ति उसे धित्कार और घृणा के भाव से ही स्वीकारेगा। शरारती तत्व कहें या दंगाई प्रवत्ति, पर इन्हीं तत्वों को धारण करने वाले किसी सिरफिरे ने मूर्ति के मस्तक पर काजीबाल अब्दुल रज्जाक लिख दिया। 

देश को अमन और शांति की ज़रूरत

खबर फैलने के साथ ही हिन्दुओं का जमावड़ा मंदिर की और बढ़ने लगा तभी उनके पहुँचने से पहले ही कोई बाइक पर सवार व्यक्ति उसे साफ़ भी करके चले गए। परन्तु लिखा हुआ पूरी तरह से मिट नहीं पाया। मामले के बाद धार्मिक श्रध्दा की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े हुए है, क्योंकि जिस मंदिर पर घटना हुई वहां से हाई कोर्ट, पुलिस स्टेशन और पुलिस कन्ट्रोल रूम चंद कदमों की दुरी पर ही है।

पुलिस प्रशासन के साथ मंदिर की स्थापना करने वालो की भी ज़िम्मेदारी बनती है कि ऐसा कृत्य किसी भी स्थिति में ना हो। सिर्फ इंदौर ही नहीं ऐसे कई मामले देश में रोज़ आते है, चाहे वो मलंग गढ़ (महाराष्ट्र) के समाधी स्थल पर मुस्लिम समुदाय का अल्लाह-हु-अकबर का नारा लगाना हो या बड़नगर शहर (मध्य प्रदेश) के डायवर्शन रोड पर पेट्रोल पंप के पास स्थित हनुमान मंदिर की मूर्ति के साथ असामाजिक तत्वों द्वारा छेड़छाड़ कि खबर हो, शर्म की बात यह है की इसकी ज़िम्मेदारी लेने को कोई भी तैयार नहीं है।

नफरत फैलाने वाले अपना काम जारी रखकर लगातार देश में हिंसा और असहिष्णुता का डंका बजाने में लगे है। अगर इस देश का यही हाल रहा तो शायद वह दिन दूर नहीं जहां हम धर्म के नाम पर इस कदर हिंसक और कट्टर बन जायेंगे की हम धार्मिक युध्द की और भी बढ़ जाए। आज़ादी के 70 सालों  बाद भी देश सिर्फ धर्म के नाम पर जंग लड़ रहा है, इसे थमने की सख्त आवश्यकता है।

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