राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) ने बुधवार को राष्ट्रपति भवन में न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) को भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) के रूप में शपथ दिलाई। केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) के 7 अक्टूबर को जारी पत्र के आधार पर, निवर्तमान सीजेआई यूयू ललित (UU Lalit) ने न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की उनके उत्तराधिकारी के रूप में सिफारिश की। मुख्य न्यायधीश के पद पर जस्टिस चंद्रचूड़ करीब दो साल तक रहेंगे। उनका कार्यकाल 10 नवंबर 2024 तक समाप्त होगा।
जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ मुख्य न्यायधीश यू.यू ललित का स्थान लेंगे। यू.यू. ललित ने ही अपने उत्तराधिकारी के रूप में चंद्रचूड़ को नामित किया था। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायमूर्ति यू.यू. ललित के उत्तराधिकारी के रूप में उनके कंधों पर बहुत बड़ी जिम्मेदारियां हैं और उन्हें उम्मीद है कि वह उनके द्वारा शुरू किए गए ‘अच्छे कामों’ को जारी रखेंगे।
अपने पिता वाईवी चंद्रचूड़ के फैसलों को पलट चुके हैं डीवाई चंद्रचूड़
मालूम हो कि जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के पिता वाईवी चंद्रचूड़ भी देश के मुख्य न्यायधीश रह चुके हैं। देश के 16वें चीफ जस्टिस रहे वाईवी चंद्रचूड़ के नाम पर सबसे लंबे समय तक मुख्य न्यायधीश रहने का रिकॉर्ड है। वो सात साल और चार महीने तक प्रधान न्यायाधीश रहे थे। जस्टिस डीआई चंद्रचूड़ अपने पिता वाईवी चंद्रचूड़ के दिए कई फैसलों को पलट चुके हैं। जिसमें आपातकाल में व्यक्ति की स्वतंत्रता और आईपीसी की धारा 497 को असंवैधानिक करार देना शामिल है।