श्रीनगर। देशभर में जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जा रहा है, लेकिन कश्मीरी पंडितों के लिए इस बार की जन्माष्टमी बेहद खास बन गई। उत्तरी कश्मीर के हंदवाड़ा में कश्मीरी पंडितों ने 32 साल बाद प्रभात फेरी निकाली। इस दौरान भगवान कृष्ण से कोरोना के खात्मे के लिए प्रार्थना की गई। इससे पहले 1989 में जन्माष्टमी का कार्यक्रम का आयोजित किया गया था। प्रभात फेरी की शुरुआत गणपत्यार मंदिर से हुई, जो जैंदार मोहल्ला, जहांगीर चौक, मौलाना आजाद रोड होते हुए रेजीडेंसी रोड तक पहुंची।
कश्मीरी पंडितों ने मनाई जन्माष्टमी
कार्यक्रम में शामिल कश्मीरी पंडितों ने कहा कि कश्मीर भाईचारे के लिए जाना जाता है। बाहरी लोग यहां आएं और हमारी एकता को देखें। उन्होंने प्रभात फेरी निकालने में मदद करने के लिए स्थानीय लोगों को धन्यवाद भी दिया। सुरक्षा के कड़े इंतजाम जन्माष्टमी के इस कार्यक्रम के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। लोगों ने जगह-जगह प्रभात फेरी का स्वागत किया। इस दौरान कृष्ण भक्त सड़कों पर नाचते-गाते नजर आए।
रियासतकालीन गहनों से राधा- कृष्ण का श्रृंगार
ग्वालियर में सोमवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर 100 साल पुराने गोपाल मंदिर में उत्सव के दौरान भगवान श्री कृष्ण को 100 करोड़ के गहने पहनाए गए । इन गहनों को बैंक लॉकर से सुरक्षा के साथ मंदिर तक लाया गया। श्रृंगार के बाद हुई श्री कृष्ण की महाआरती हुई। अगले 24 घंटे तक रियासत कालीन गहनों में ही भक्तों को भगवान दर्शन देंगे। फूलबाग स्थित 100 पुराने सिंधिया रियासतकालीन गोपाल मंदिर में जन्माष्टमी की धूम निराली होती है। गोपाल मंदिर में राधा-कृष्ण की अदभुत प्रतिमाएं हैं। जिन गहनों से भगवान को सजाया गया है, वे ये रियासत कालीन जेवर हैं। इनमें हीरे-रत्न जड़े हुए हैं। साल में सिर्फ जन्माष्टमी पर इन जेवरातों को पहनाकर राधा-कृष्ण का श्रंगार किया जाता है।