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इंदौर नहीं बन पा रहा भिक्षुक मुक्त, अधिकारी कागजों और बातों में ही शहर को भिक्षुक मुक्त बना रहे

इंदौर। शहर में भिक्षुक अभियान लंबे समय से चल रहा है, लेकिन फिर भी इंदौर अब तक मुक्त नहीं हो पाया है। इसमें जिम्मेदार अधिकारी की जांच पड़ताल होना चाहिए कि वे क्या कर रहे हैं। अधिकारी सिर्फ कागजों और बातों में ही शहर को भिक्षुक मुक्त बना रहे हैं।

जबकि मामले की गंभीरता को देखते हुए नगर निगम कमिश्नर प्रतिभा पाल लगातार सक्रिय है। इसमें अपर आयुक्त अभय राजनगांवकर, उपायुक्त नेरंद्र शर्मा, अन्य विभागीय अधिकारी, एनजीओ प्रतिनिध मौजूद रहते हैं। निगम कमिश्नर प्रतिभा पाल ने कहा है कि महिला भिक्षुक के लिए अलग से महिला भिक्षुक पुनर्वास केंद्र बनेगा। महिला भिक्षुक पुनर्वास केंद्र पर समस्त स्टाफ केवल महिलाएं ही होगी। निगम कमिश्नर पाल ने महिला भिक्षुकों को रेस्क्यू कने के दौरान केवल महिला कर्मचारी व एनजीओ की महिला सदस्यों द्वारा ही रेस्क्यू की कार्रवाई करने को कहा। साथ ही महिला भिक्षुकों के लिए पिपल्याहाना स्थित रेन बसेरा में महिला भिक्षुक केंद्र बनाने व उक्त केंद्र पर सभी स्टाफ और कर्मचारी केवल महिलाएं ही रहे इस संबंध में भी संबंधितों को निर्देश दिए हैं।

निगम कमिश्नर पाल ने भिक्षुकोें को रेस्क्यू करने के बाद उनकी प्रोफाइल तैयार करने के संबंध में निर्देश दिए हैं। इसके तहत भिक्षुक के संबंध में फॉर्मेट में संपूर्ण जानकारी होगी, भिक्षुक का नाम, पता, उम्र, स्थिति, कहां से रेस्क्यु किया गया, शैक्षणिक योग्यता अगर हो तो, क्या कार्य करना चाहता हैं, किस कार्य में रुचि है आदि पूरी जानकारी का रिकॉर्ड रखने के निर्देश दिए हैं। इतना ही नहीं रेस्क्यू किए गए भिक्षुक यदि मानसिक रुप से कमजोर हो या मानसिक बीमारी से ग्रस्त हो तो उसे मानसिक चिकित्सालय में रखने के निर्देश भी दिए हैं।

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