पाकिस्तान में जन्मे भारत के बेटे तारिक फतेह नहीं रहे - Mradubhashi - MP News, MP News in Hindi, Top News, Latest News, Hindi News, हिंदी समाचार, Breaking News, Latest News in Hindi
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पाकिस्तान में जन्मे भारत के बेटे तारिक फतेह नहीं रहे

पाकिस्तान में जन्मे भारत के बेटे तारिक फतेह नहीं रहे

मिलिंद बायवार- अपने बेबाक वक्तव्यों के लिए मशहूर पाकिस्तानी मूल के कनाडाई लेखक तारिक फतेह का 73 साल की उम्र में निधन हो गया। तारिक फतेह की खास बात यह रही कि वे जिंदगीभर खुद को भारत का बेटा कहते रहे। हालांकि उनका जन्म 20 नवंबर 1949 को कराची में हुआ था।

पहले उनका परिवार मुंबई में रहता था, लेकिन विभाजन के बाद पाकिस्तान चला गया। पाकिस्तान में ही उनकी पढ़ाई हुई। उन्होंने कराची विश्वविद्यालय से बायोकेमिस्ट्री में पढ़ाई की, लेकिन पेशे के तौर पर उन्होंने पत्रकारिता को अपनाया। उनका कराची में पत्रकारिता का आलम यह रहा कि उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा।

वह 1970 का दौर था। 1977 में जब जनरल रिया उल क ने उन पर गद्दारी का आरोप लगाया तो उनकी पाकिस्तान में पत्रकारिता भी खत्म हो गई। यही वजह रही कि फिर तारिक फतेह को पाकिस्तान रास नहीं आया और वे सऊदी अरब चले फिर उन्होंने सऊदी अरब भी छोड़ दिया और 1987 में वे कनाडा में बस गए।

इस्लाम की कट्टरता के खिलाफ लिखते रहे:

वे अंत तक इस्लाम की कट्टरता के खिलाफ लिखते रहे और बोलते रहे। साथ ही आजीवन भारतीय संस्कृति के मुरीद रहे। वे मानवाधिकार के बड़े पक्षधर रहे और इसी के चलते आजाद बलूचिस्तान उनका सपना रहा। वे बलूचों के साथ पाकिस्तान में हो रहे अत्याचारों पर हमेशा व्यथित दिखे।

बढ़ जाती थी टीवी शो की टीआरपी

जब तारिक फतेह भारतीय टीवी चैनलों पर चर्चाओं में हिस्सा लेते थे तो शो की टीआरपी बढ़ जाती थी। जब वे भारतीय संस्कृति का पक्ष लेते थे तो दर्शक उन्हें मंत्रमुग्ध होकर सुनते थे। वे अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू, पंजाबी और अरबी के ज्ञाता थे। तारिक फतेह की भारत में लोकप्रियता इस वजह से भी रही कि वे इस्लाम और आतंकवाद पर खुलकर बोलते थे।

उन्होंने कई बार पाकिस्तान को जमकर लताड़ा है। जबकि उनका रुख हमेशा ही भारत के प्रति नरम ही रहा। यहां तक कि वे पीएम नरेंद्र मोदी की भी कई मौकों पर प्रशंसा करते रहे। उन्होंने मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों के लिए अपनी आवाज बुलंद की।