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चार महिला खिलाड़ियों से शुरू हुआ था ओलंपिक का सफर, ऐसी है ओलंपिक में भारतीय बेटियों की दास्तान

नई दिल्ली। चार बेटियों के साथ शुरू हुआ ओलंपिक का ऐतिहासिक सफर 69 साल में 14 गुणा बढ़ गया। यह लगातार दूसरा ओलंपिक है, जब खेलों के महाकुंभ में शिरकत कर रही देश की बेटियों की संख्या लगभग पुरुष खिलाड़ियों के बराबर ही है। देश की चार बेटियों ने पहली बार 1952 हेलेसिंकी ओलंपिक में दो खेलों एथलेटिक्स और तैराकी में हिस्सा लिया था, तो इस बार टोक्यो में रिकॉर्ड 55 बेटियां रिकॉर्ड 15 खेलों में चुनौती पेश कर तिरंगे की शान बढ़ाएंगी। पांच खेलों में तो सिर्फ बेटियों पर ही दारोमदार होगा।

पांच पदक हुए बेटियों के नाम

शुरुआती 60 वर्षों और 16 ओलंपिक (1952 से 2012) में जहां 147 बेटियां खेलीं। वहीं अगले नौ साल और दो ओलंपिक (2016 (54), 2021) में ही रिकॉर्ड 109 ने यह गौरव हासिल कर लिया। रियो ओलंपिक में तो बेटियों ने न सिर्फ पदक जीतकर तिरंगे की शान की बढ़ाई, बल्कि खाली हाथ आने से भी बचाया। शटलर पीवी सिंधू ने रजत जीतने वाली देश की पहली महिला बनीं तो पहलवान साक्षी महिला कुश्ती में पहले पदक की साक्षी बनी। बेटियां अब तब ओलंपिक में पांच पदक जीत चुकी हैं। पिछले दोनों ओलंपिक में बेटियों ने पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया है। टोक्यो में बेटियों से और ज्यादा पदकों की उम्मीद है।

1956 में नहीं भेजा मैरी को

मैरी डिसूजा (1956, मेलबर्न) ने लगातार दूसरी बार ओलंपिक के लिए क्वालिफाई किया पर सरकार ने बजट की कमी का हवाला देकर उन्हें नहीं भेजा। वह इन खेलों में भाग लेने वाली एकमात्र महिला थी। उन्हें 100 और 200 मीटर दौड़ में खेलना था। इसके अलावा 1988 और 1992 में छह-छह और 1996 में नौ महिलाओं ने खेलों में भाग लिया। वहीं तीन (1960, 1968 और 1976) खेलों में कोई महिला क्वालिफाई नहीं कर पाई।

वर्ष एथलीट
1980 18
1984 10
2000 21
2004 25
2008 23
2012 23
2016 54
2021 55

नीलिमा मैदान पर उतरने वाली पहली भारतीय महिला

नीलिमा घोष ओलंपिक खेलों में मैदान पर उतरने वाली पहली भारतीय महिला हैं। उन्होंने 21 जुलाई 1952 को हेलेंसिकी ओलंपिक खेलों की 100 मीटर दौड़ में भाग लेकर यह रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज किया था। तब उनकी उम्र 17 साल की थी। नीलिमा के अलावा मैरी डिसूजा (100, 200 मीटर) और तैराक डॉली नाजीर व आरती शाह ने भी भाग लिया था।

शाइनी पहली महिला ध्वजवाहक

ओलंपिक (800 मीटर दौड़, 1984 लॉस एंजिलिस) के सेमीफाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी शाइनी विल्सन 1992 में बार्सिलोना में खेलों के महाकुंभ के उद्घाटन समारोह में ध्वजवाहक बनने वाली पहली भारतीय महिला बनीं थी। उनके अलावा अंजू बॉबी जॉर्ज (2004, एंथेस) ही यह उपलब्धि हासिल कर पाई हैं। यह दोनों ही खिलाड़ी एथलेटिक्स से हैं। इस बार मुक्केबाज मैरीकॉम को यह गौरव मिला है। वह तीसरी महिला जबकि एथलेटिक्स के अलावा यह सम्मान पाने वाली पहली महिला होंगी।

कर्णम पहली पदक विजेता

वेटलिफ्टिर कर्णम मल्लेश्वरी 2000 सिडनी ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी थी। उन्होंने कांस्य पदक जीता था। वहीं शटलर पीवी सिंधू (2016, रियो) रजत पदक जीतने वाली देश की पहली महिला खिलाड़ी हैं। मैरीकॉम (2012, लंदन, कांस्य) खेलों के महाकुंभ में पदक जीतने वाली पहली मॉम हैं।

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