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Independence Day 2021: गुजरात का जूनागढ़ ऐसे आया था भारत के हिस्से में

15 august unknown story

विनय यादव. आजादी के 74 साल बाद पाकिस्‍तान के नए नक्‍शे ने कई लोगों को हैरान कर दिया है। अभी तक जो पाकिस्‍तान जम्‍मू कश्‍मीर पर दावा करता था अब वह गुजरात के हिस्सों को भी अपना बताने लगा है। गुजरात का जूनागढ़ और मनवादर को साल 1948 में जनमत संग्रह के बाद भारत में शामिल कर लिया गया था। जानकारी अनुसार पाकिस्‍तान की नजरें यहां मौजूद खनिज संपदाओं पर हैं पाक का दावा है कि उसकी सीमा पूर्वी तट की और है जबकि भारत का दावा है कि यह पश्चिम की और है।

जानकारी अनुसार पाकिस्तान यह सोचता है कि भारत, पाकिस्तान के सैकड़ों किलोमीटर के ईईजेड पर कब्जा करना चाहता है। 70 साल से सर क्रीक को लेकर विवाद जारी है। कच्छ के रण के दलदल के क्षेत्र में सर क्रीक 96 किमी चौड़ा पानी से जुड़ा मुद्दा है। पहले इसे बाणगंगा के नाम से जाना जाता था। यह अरब सागर में खुलता है और एक तरह से गुजरात के रण को पाकिस्तान के सिंध प्रांत से अलग करता है। इसे लेकर कच्छ और सिंध के बीच समुद्री सीमा पर विवाद है। सर क्रीक मछुआरों के लिए अहम संपदा है और इसे एशिया का सबसे बड़ा फिशिंग ग्राउंड माना जाता है। यह भी माना जाता है कि यहां पर तेल और गैस का भंडार भी मौजूद है।

यह हुआ था साल 1947 में

जानकारी अनुसार पाकिस्तान का दावा है कि साल 1914 में सिंध सरकार और कच्छ के राव महाराज के बीच हुए बॉम्बे सरकार रेजोल्‍यूशन के तहत पूरा क्रीक पाकिस्तान का है। इस प्रस्‍ताव के तहत दोनों क्षेत्रों के बीच सीमा क्रीक के पूर्व की और की गई जबकि भारत का दावा है कि साल 1925 में बने नक्शे के मुताबिक यह बीच में है। साल 1947 में 15 अगस्त को अंग्रेजों से आजादी से ठीक पहले तक जम्मू-कश्मीर और हैदराबाद के अलावा गुजरात के जूनागढ़ ने भारत में शामिल होने का फैसला नहीं किया था। जूनागढ़ में करीब 80 फीसदी हिंदू आबादी थी और भारत सरकार की कोशिश थी कि जूनागढ़ के नवाब मोहम्मद महाबत खान, भारत के साथ आ जाएं लेकिन वह राजी नहीं थे।

पटेल ने जुनागढ़ में भेजी थी सेना

नवाब ने 15 सितंबर, 1947 को पाकिस्तान में विलय का फैसला किया। इस फैसले से जूनागढ़ की जनता भड़क गई और राज्य के कई हिस्से में नवाब के शासन के खिलाफ लोग खड़े हुए। जिसके बाद नवाब अपने परिवार के साथ कराची चले गए। इसके बाद सरदार पटेल ने पाकिस्तान से जूनागढ़ के विलय की मंजूरी को रद्द करने और जनमत संग्रह कराने को कहा। जब पाकिस्तान ने इंकार कर दिया तो सरदार पटेल ने 1 नवंबर 1947 को जूनागढ़ में भारतीय सेना भेज दी। इसके बाद उसी साल दिसंबर में वहां जनमत संग्रह हुआ जिसमें 99 फीसदी लोगों ने भारत में रहने को चुना। फरवरी 1948 को जूनागढ़, भारत में शामिल हो गया।

जूनागढ़ की तरह ही मनवादर में भी 22 अक्टूबर 1947 को भारत ने सत्ता संभाल ली और भारतीय पुलिसबल मनवादर पहुंच गया। यहां के खान साहिब गुलाम मोइनुद्दीन खान्जी ने भी पाकिस्तान में शामिल होना स्वीकार कर लिया था। हालांकि, जूनागढ़ के अंतर्गत आने की वजह से मनवादर के पास इसका अलग अधिकार नहीं था। खान साहिब को सोनगढ़ में नजरबंद कर दिया गया। यहां कार्यकारी प्रशासक को तैनात कर दिया गया और फिर रायशुमारी कराई गई, जिसमें भारत के समर्थन में वोट पड़े। इसके बाद 15 फरवरी 1948 को इसका भारत में विलय हो गया।

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