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अयोध्‍या में दो दर्जन से ज्यादा हैंड ग्रेनेड मिलने से मचा हड़कंप, कयासबाजी का दौर जारी

अयोध्या। अयोध्या में बड़ी संख्या में हैंड ग्रेनेड बरामद किए गए हैं. ये हैंड ग्रेनेड सेना के ट्रेनिंग सेंटर से तीन किलोमीटर दूर मिले थे। इतनी संख्या में हैंड ग्रेनेड कहां से आए, ये अभी तक पता नहीं चल पाया है। इस बारे में अयोध्या पुलिस को जानकारी दे दी गई है। बरामद हैंड ग्रेनेड को नष्ट कर दिया गया है।

दरअसल यह पूरा क्षेत्र सेना की निगरानी में रहता है और रात 10 बजे के बाद यहां से आवाजाही की भी मनाही हो जाती है. सेना का इस तरह का सेंटर जहां हैंड ग्रेनेड की प्रैक्टिस होती है वह इस स्थान से लगभग ढाई से तीन किलोमीटर दूर है. ऐसे में इतनी दूर इतने बड़ी मात्रा में हैंड ग्रेनेड का यूं मिलना बड़े सवाल खड़े करता है।

मिलिट्री इंटेलिजेंस की मानें तो पाए गए हैंड ग्रेनेड को रविवार दोपहर 2 बजे के आसपास नष्ट कर दिया गया है. इस बारे में अयोध्या पुलिस को भी जानकारी दी गई. अयोध्या के एसएसपी शैलेश पांडे कहते हैं कि उनके पास इस तरह के हैंड ग्रेनेड मिलने की सूचना डोगरा रेजिमेंटल सेंटर द्वारा एक पत्र के माध्यम से कैंट थाने में दी गई है. सभी हैंड ग्रेनेड्स को नष्ट कर दिया गया है. इससे अधिक उनके पास कोई जानकारी नहीं है। वहीं अयोध्या कंटोनमेंट बोर्ड के चेयरमैन मिलन निषाद ने बताया कि निर्मली कुंड के रहने वाले एक स्थानीय युवक ने सबसे पहले इन हैंड ग्रेनेड को देखा. उसी ने यह जानकारी मिलिट्री इंटेलिजेंस को दी है. हैंड ग्रेनेड मिलने का यह मामला निर्मली कुंड चौराहे के बगल स्थित नाले के पास का है. जहां एक तरफ सेना ने फेंसिग की है उसी के दूसरी तरफ झाड़ियों और पेड़ों के बीच ये ग्रेनेड पड़े मिले. इनकी संख्या 18 है, जिसे डिफ्यूज कर दिया गया है.

बोर्ड के चेयरमैन मिलन निषाद भी सवाल करते हैं कि आखिर जो सेना का हैंड ग्रेनेड ट्रेनिंग सेंटर है, वहां से लगभग ढाई से 3 किलोमीटर दूर यह हैंड ग्रेनेड आखिर वहां तक कैसे पहुंचा. इतनी दूर इन्हें हाथों से फेंका नहीं जा सकता और नजदीक केवल शूटिंग रेंज है, जहां इनको फेंकने की प्रैक्टिस नहीं होती है। बता दें कि सेना की गतिविधियों की सूचना आमतौर पर लोगों के पास नहीं होती और ना ही सेना इसे साझा करती है. हालांकि हर एक ऐसे मामले पर जांच कमेटी गहनता से मामले की जांच करती है और उस जांच रिपोर्ट पर एक्शन भी होता है. आम घटनाओं और जांचों की तरह सेना की कार्रवाई इक्का-दक्का मामलों को छोड़कर ना तो सुर्खियां बनती है और ना ही उसे प्रचारित ही किया जाता है।

उधर मिलिट्री इंटेलिजेंस (M.I) से जुड़े सूत्रों की मानें तो ट्रेनिंग और वास्तविक एक्शन के लिए अलग-अलग तरह के एम्युनेशन का प्रयोग होता है. ट्रेनिंग के जो हैंड ग्रेनेड होते हैं वह विध्वंसकारी नहीं होते. इससे अलग जो मिलिट्री एक्शन के लिए हैंड ग्रेनेड एलाट किए जाते हैं, वह बहुत घातक होते हैं. जब भी हैंड ग्रेनेड या इस तरह के हथियार इश्यू किए जाते हैं, उसपर एक नंबर अंकित होता है जो बता देता है किस लॉट में और इन्हें कब इश्यू किया गया. जांच के बाद यह साफ़ हो जाएगा इसे किसे और कब इश्यू किया गया था।

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