भोपाल। अगर 15 जुलाई तक देश अनलॉक हो जाता है और कोरोना वायरस वेरिएंट बदलता है तो सितंबर में ही महामारी की तीसरी लहर आ जाएगी। आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर महेंद्र वर्मा और असिस्टेंट प्रोफेसर राजेश रंजन ने दूसरी लहर के ट्रेंड और केलकुलेशन के आधार पर इसकी आशंका जताई है। आईआईटी की स्टडी के मुताबिक, उस वक्त तक देश में कम से कम डेढ़ लाख और अधिकतम 5 लाख तक केस रोजाना हो सकते हैं। यही पीक होगा। विशेषज्ञों ने बताया कि जनवरी 2022 में संक्रमण की दर इसी महीने की 21 तारीख जैसी होगी। दूसरी लहर में प्रदेश में रोज 13 हजार मरीज रोज मिल रहे थे, इस हिसाब से तीसरी लहर में उससे ज्यादा मरीज मिलेंगे।
देश के दो मॉडल से निकाले निष्कर्ष
जानकारी के मुताबिक, प्रोफेसर महेंद्र वर्मा और असिस्टेंट प्रोफेसर राजेश रंजन की रिपोर्ट में कोरोना के ट्रेंड को लेकर आईआईटी कानपुर ने देश को दो मॉडल (एसआईआर) दिए। रंजन का कहना है कि तीसरी लहर का अनुमान दूसरी लहर के ट्रेंड और एक व्यक्ति से दूसरों को होने वाले संक्रमण के आधार पर लगाया गया है। इसी तरह आईआईटी कानपुर के प्रो. मनिंदर अग्रवाल ने भी मॉडल बनाकर संकेत दिया है। अग्रवाल इस समय वैक्सीनेशन के आंकड़ों का अध्ययन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि तीसरी लहर से पहले वैक्सीनेशन के कवरेज और आंकड़ों का भी अध्ययन जरूरी है। गौरतलब है कि प्रदेश में अब तक 28% से ज्यादा लोग वैक्सीन लगवा चुके हैं। 1 से 3 जुलाई तक एक और महाअभियान है। इस दौरान 35 से 40 फीसदी लोगों को वैक्सीन लग चुकी होगी।
तीन कारण : कैसे बढ़ेंगे संक्रमण के केस
पहला : सामान्य होने की स्थिति में तीसरी लहर दूसरी से तो कमजोर हो सकती है, लेकिन देश में रोजाना केसों का ‘पीक’ अक्टूबर में 3 से 3.25 लाख केसों तक का हो सकता है। मप्र में यह 8 से 10 हजार प्रतिदिन होगा।
दूसरा : सामान्य स्थिति हो, लेकिन वायरस अपनी प्रकृति बदलता है यानी जिस तरह डेल्टा प्लस वेरिएंट की चर्चा हो रही है, जो खतरनाक है तो सितंबर से पहले ही रोजाना केसों की संख्या 5 लाख तक के आंकड़े को छू लेगी। मप्र में यह प्रतिदिन 15 हजार तक पहुंच जाएगा।
तीसरा : कोरोना के सारे प्रोटोकॉल का पालन होता है तो सामान्य स्थिति होने के बाद भी ‘पीक’ अक्टूबर-नवंबर तक आएगा। तब देश में केस डेढ़ से दो लाख तक होंगे। मप्र में यह 5-6 हजार तक हो सकते हैं।
राज्य को सीरो सर्वे कराना चाहिए
वर्मा और रंजन ने कहा कि अभी 4% लोगों को वैक्सीन लगी है। दो माह में यह आंकड़ा 30 से 40% हो जाता है तो तीसरी लहर का असर काफी कम हो जाएगा। इसके अलावा कई लोगों को कोरोना हो चुका है. राज्यों को अब सीरो सर्वे कराना चाहिए, ताकि लोगों की हर्ड इम्युनिटी का पता चल सके. कोविड प्रोटोकॉल का पालन, लोगों की सतर्कता व छोटी-छोटी जगहों पर सीरो सर्वे होता है तो पूवार्नुमान के तहत तीसरा कारण बनता है कि अक्टूबर के भी आखिर में तीसरी लहर आएगी जो दूसरी से आधी से भी कम प्रभावी होगी।