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कुंडली के इस योग से मानव की तीर्थक्षेत्र में होती है मृत्यु

मृत्यु मानव जीवन का अंतिम सत्य है। मानव धरती पर जन्म लेने के बाद अपने कर्म करता है और अंत में मोक्ष की अनन्त यात्रा पर रवाना हो जाता है। मानव की कुंडली से उसके भाग्य का लेखा-जोखा तय होता है और कुंडली के ग्रहयोग के हिसाब से उसका जीवन चलता है। इंसान के धन, सुख-दुख और परिवार से संबंधित सभी बातें कुंडली से तय होती है। इसी तरह कुंडली के आठवे भाग से मानव की मृत्यु का निर्धारण होता है।

मृत्यु का भाव होता है आठवां

कुंडली का आठवां भाव मृत्यु का भाव माना जाता है। इस भाव को आयु, त्रिक, रंध्र, पणफर, चतुरस्त्र, जीवन और अष्टभाव भी कहा जाता है। शनि आठवें भाव का कारक ग्रह है।आठवें भाव से आयुसीमा, मौत का स्वरूप, मिलने वाले कष्ट, मृत्यु की वजह, गंभीर और दीर्घकालीन रोग,जीवन की चिंताएं, इत्यादि का विचार किया जाता है| इसके साथ ही आठवें भाव से वसीयत से लाभ, स्त्रीधन और दहेज, गुप्त विज्ञान, पुरातत्व, अपयश, स्त्री सौभाग्य, का भी विचार किया जाता है।

सूर्य के होने से आग से होती है मृत्यु

कुंडली के आठवें भाव में यदि सूर्य हो तो व्यक्ति की मृत्यु आग की वजह जैसे गैस के रिसाव या आग की चपेट में आने, आग से जलने, तेजाब गिरने, लू लगने, बाहरी गर्मी, क्रोधाग्नि आदि से होती है। आठवें भाव में यदि चंद्रमा के होने पर मानव की मृत्यु जल होती है इसमें मानव पानी में डूबने, गिरने, ज्यादा बारीश ,दूषित पानी , रोगाणु संक्रमण, टाइफाइट, हैजा आदि से मृत्यु होती है।

मंगल के होने से शस्त्र से होती है मौत

आठवें भाव में मंगल के होने पर मानव की मृत्यु शस्त्र के द्वारा होती है। इसमें दुश्मन के वार या खुदकुशी यानी जानबूझकर या अनजाने में किसी भी प्रकार से मृत्यु शस्त्र के द्वारा ही होती है। आठवें भाव में बुध हो तो मानव की मृत्यु की वजह बुखार बनती है। आठवें भाव में गुरु के होने पर मानव की मृत्यु गुप्त रोग से होने के संभावना रहती है। ऐसे में मानव की मौत कष्टप्रद होती है। शुक्र होने पर मानव की मृत्यु प्यास से जुडे कारणों से होती है। शनि होने पर मौत की वजह भूख, गरीबी, अभाव, आहार विहार छूट जाना और ज्यादा उपवास से होती है।

शुभ ग्रहों की दृष्टि या योग से मिलता है मोक्ष

ऐसा भी होता है कि कुछ लोग तीर्थाटन के लिए घर से जाते हैं और फिर कभी वापस नहीं लौटते हैं। इस तरह से उनकी तीर्थक्षेत्र में ही मौत हो जाती है। जैसे केदारनाथ हादसे में हजारों लोगों की मौत हुई थी। उस समय कुछ विद्वानों ने कहा था कि वहां पर मृत्यु को प्राप्त होने वालों का मोक्ष हो गया। तीर्थस्थानों में मौत होने की बात भी आठवें भाव से जुड़ी हुई है। आठवे भाव में शुभ ग्रहों की दृष्टि या योग हो और नौवें भाव का स्वामी शुभ ग्रहों से युक्त हो तीर्थस्थानों में मौत के योग होते है। ऐसे में शास्त्रों के अनुसार मानव जीवन-मृत्यु से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति करता है।

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