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संकट में हैं हिमांचल का “लाला सोना”

हिमाचल अपने लाल सोने के लिए मशहूर है। जी हाँ लाला सोना मतलब सेब। देश और दुनिया के कोने कोने तक इसकी मिठास के चर्चे हैं। लेकिन फ़िलहाल यह सेब अब गहरे संकट में है। क्यूंकि सूखे की वजह से इसकी खेती बागानी पर असर पड़ रहा है। भयंकर सूखे की वजह से समुद्र तल से 6000 फीट या इससे कम ऊंचे क्षेत्रों में सेब की ड्रॉपिंग शुरू हो गई है।

इससे सेब बागवानों की चिंताएं बढ़ती जा रही है, क्योंकि राज्य में अढ़ाई लाख से अधिक परिवारों की रोजी-रोटी सेब पर निर्भर रहती है। आमतौर पर जून में ड्रॉपिंग हुआ करती थी, लेकिन इस साल अप्रैल महीने में ही सेब की दाने झड़ने लगे है। सूखे के कारण जमीन में दरारें पड़नी शुरू हो गई है।

सेब के बागानों में सूखे की वजह से नमी कम हो गयी है। जिसके कारण इसकी खेती पर असर पड़ रहा है। 6000 फीट तक की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सेब की फसल को काफी नुकसान हो चुका है।

इससे अधिक ऊंचे क्षेत्रों में भी खासकर छोटे पौधों पर सूखे की मार पड़नी शुरू हो गई है। इतना ही नहीं जो सेब के बागान 7000 फ़ीट की ऊंचाई पर हैं वहां भी नमी अब सूख चुकी है। वहां सेब के जो दाने लगे थें, वह मुर्झाने और झड़ने शुरू हो गए हैं। सूखे के कारण इस बार सेब की फ्लावरिंग ही नहीं हो पाई है। जो फूल लगे थे वह सूखे के कारण ड्रॉप हो गए हैं।

प्रदेश में बीते 40 दिनों से तापमान सामान्य से 6 से 11 डिग्री सेल्सियस ज्यादा चल रहा है। इसका असर सीधे तौर पर सेब पर पड़ रहा है। अगर यही हाल रहा तो आनेवाले दिनों में सेब की कीमतों में भरी उछाल देखने को मिल सकता है।

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