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प्रदेश में संपत्तियों को पहुंचाया नुकसान तो भरना होगा भारी भरकम जुर्माना

भोपाल। मध्यप्रदेश में अब उपद्रवियों की खैर नहीं है। राज्य सरकार ने मध्यप्रदेश लोक एवं निजी संपत्ति को नुकसान का निवारण एवं नुकसानी की वसूली विधेयक 2021 का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। इसके तहत क्लेम्स ट्रिब्यूनल बनाने, उसके अधिकारों और दायित्वों को तय करने के साथ ही वसूले जाने वाले हर्जाने की राशि दोगुना तक रखने के प्रावधान हैं। मध्यप्रदेश कैबिनेट ने गुरुवार को इस प्रस्तावित कानून पर अपनी मुहर लगा दी है। 20 दिसंबर से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र में इस कानून को पारित कर दिया जाएगा। राज्य के गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कई मर्तबा मीडिया से बातचीत में कहा है कि प्रदेश सरकार सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले से हर्जाना वसूलने की तैयारी कर रही है। इस संबंध में कानून का ड्राफ्ट तैयार है। यह ड्राफ्ट पहली बार सामने आया है। इसके मुताबिक सांप्रदायिक दंगों, हड़ताल, बंद, प्रदर्शन, जुलूस या व्यक्तियों के समूह द्वारा किए जाने वाले नुकसान की भरपाई का अधिकार यह विधेयक देता है। इनमें केंद्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय निकाय के साथ ही सहकारी संस्थाओं, कंपनियों की संपत्तियों को पहुंचने वाला नुकसान शामिल है।

नियत समय के लिए बनेंगे क्लेम्स ट्रिब्यूनल

राज्य सरकार ऐसे क्षेत्र और अवधि के लिए क्लेम्स ट्रिब्यूनल बनाएगी, जो इस विधेयक में उल्लेखित प्रावधानों के तहत हर्जाने की राशि तय करेगा। सरकारी संपत्ति के संबंध में कलेक्टर या कार्यालय प्रमुख और निजी संपत्ति के मामले में उसका मालिक या नियंत्रणकर्ता को क्लेम्स ट्रिब्यूनल के सामने 30 दिन के भीतर आवेदन देना होगा। क्लेम्स ट्रिब्यूनल अपने अधीन एक क्लेम्स कमिश्नर नियुक्त करेगा। यह नुकसानी का आकलन करने में मदद करेगा।

उकसाने वाले से भी वसूलेंगे हर्जाना

प्रस्तावित कानून में प्रावधान है कि क्लेम्स ट्रिब्यूनल जो भी फैसला सुनाएगा, उसमें संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले के साथ ही इसके लिए प्रेरित या उकसाने वाले से भी हर्जाना वसूला जाएगा। क्लेम्स ट्रिब्यूनल मूल नुकसान के दोगुना तक के अवार्ड पारित कर सकेंगे। अवार्ड पारित होने के 15 दिन में नुकसानी का भुगतान नहीं हुआ तो आवेदनकर्ता को हजार्ना राशि पर ब्याज और क्लेम्स ट्रिब्यूनल में हुए खर्च की वसूली के अधिकार होंगे।

तीन महीने में तय हो जाएगा हर्जाना

विधेयक में प्रावधान है कि क्लेम्स ट्रिब्यूनल को हजार्ने या मुआवजे का निर्धारण तीन महीने के अंदर करना होगा। क्लेम्स ट्रिब्यूनल को कोड आॅफ सिविल प्रोसीजर 1908 के तहत सिविल कोर्ट के अधिकार और शक्तियां प्रदान की जाएंगी। क्लेम्स ट्रिब्यूनल के आदेश को 90 दिन के भीतर सिर्फ हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकी।

इसलिए बनाना पड़ा कानून

प्रदेश के इंदौर, उज्जैन, भोपाल सहित अन्य जगहों पर पत्थरबाजी की घटनाओं से सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचा था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐसे व्यक्तियों पर कार्रवाई करके उनसे वसूली करने का कानून बनाने के निर्देश दिए थे। गृह विभाग ने उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और हरियाणा के अधिनियमों का अध्ययन करने के बाद अधिनियम का प्रारूप तैयार किया है।

ये फैसले भी हुए

  • बैठक में वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए द्वितीय अनुपूरक बजट के प्रस्तावों को भी मंजूरी दी गई।
  • उज्जैन नगरी में बाबा महाकालेश्वर मंदिर परिसर का 700 करोड़ रुपए की लागत से जीर्णोद्धार किया जा रहा है। काम पूरा करने की समयसीमा शिवरात्रि तक निर्धारित की गई है। साथ ही इस अवसर पर होने वाले भव्य कार्यक्रम से प्रदेश के सभी प्रमुख शिव मंदिरों को भी जोड़ा जाएगा।
  • सात फरवरी को नर्मदा जयंती के अवसर पर प्रदेशभर में नर्मदा परिक्रमा पथ पर भव्य आयोजन किए जाएंगे।
  • प्रदेश में सड़क विकास निगम अब भवन बनाने का काम भी करेगा। कैबिनेट ने मप्र सड़क विकास निगम को शासन के विभिन्न विभागों के भवन परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए क्रियान्वयन एजेंसी बनाए जाने के प्रस्ताव को अनुमति दी है।
  • कैबिनेट ने सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारियों के रिक्त 144 पदों में से प्रथम चरण में 72 पदों की पूर्ति किए जाने हेतु मांग पत्र मप्र लोक सेवा आयोग को भेजे जाने के प्रस्ताव को अनुमति दी है.
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