Happy Pongal 2021: पोंगल दक्षिण भारत का एक प्रमुख त्यौहार है। इस दिन शास्त्रोक्त रस्मों को निभाने के साथ बैलों की लड़ाई का आयोजन किया जाता है। इस विशेष परंपरा को जल्लीकट्टू प्रथा कहा जाता है। दक्षिण भारत में यह खेल सदियों से खेला जा रहा है।
पालामेडू में खेला जाता है जल्लीकट्टू
दक्षिण भारत खासकर तमिलनाड़ू में पोंगल के अवसर पर बैल की पूजा की जाती है क्योंकि बैल जमीन जोतकर अन्न उपजाने में किसान की सहायता करता है। चेन्नई से 575 किमी दूर पालामेडू में पोंगल के अवसर पर जल्लीकट्टू प्रथा का आयोजन किया जाता है। जल्लीकट्टू तमिल भाषा के दो शब्दों जल्ली और कट्टू से बना हुआ है। जल्ली का अर्थ होता है ‘सिक्का’ और कट्टू का अर्थ है ‘बांधना’।
सिंधु घाटी सभ्यता में भी मिले हैं साक्ष्य
जल्लीकट्टू प्रथा के तहत पहले बैल के सिंगों पर सिक्कों की एक छोटी-सी थैली बांधने की परंपरा थी। इसमें भाग लेने वाले प्रतियोगी सिंगों पर बंधी थैली को प्राप्त करने का प्रयास करते थे। जीतने वाले का सम्मान होता था और उसको प्रशंसा मिलती थी। इस दौरान समारोह में मौजूद महिलाएं अपने लिए वर चुनती थी। मौजूदा साक्ष्य इस बात की पुष्टी करते हैं कि जल्लीकट्टू की परंपरा करीब 4 हजार साल पुरानी है। सिंधु घाटी सभ्यता के शैल चित्रों में इसके प्रमाण दिखाई देते हैं। 1930 में मिली एक मुहर में एक बैल को कुछ लोग पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं।