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Hamidia Tragedy: हमीदिया हादसे में अब तक 10 बच्चों की मौत, उमा भारती ने कहा, ‘राजधर्म निभाए शिवराज’

भोपाल। भोपाल में स्थित हमीदिया अस्पताल के कमला नेहरू बाल चिकित्सालय के बच्चा वार्ड में सोमवार रात लगी आग से अब तक 10 घरों के चिराग बुझ गए हैं। हालांकि सरकार चार बच्चों की मौत का दावा कर रही है। इस वार्ड में करीब 40 बच्चे भर्ती थे। हालांकि बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है, अस्पताल की तस्वीरें देखकर कर आपकी रुह कंपा जाएगी। कल रात हमीदिया अस्पताल में हुए दर्दनाक हादसे का सच यही है। जिन बच्चों की आंख भी ठीक से नहीं खुली थी, उन्हें मौत की नींद सुलाने वाले जिम्मेदारों की पहचान अब तक नहीं हो पाई है। सरकार ने जांच का औपचारिक आदेश जारी करने के बजाए सम्मान करने की घोषणा कर दी। अस्पताल में अभी भी परिजन इस बात के लिए संघर्ष कर रहे हैं कि कम से कम अपने बच्चों को देख तो लें। अपनी आंखों से उन्हें देखकर एक बार भरोसा कर लें कि उनके बच्चे सकुशल हैं। इधर, पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को दोषियों पर कार्रवाई कर राजधर्म निभाने की नसीहत दे दी।

40 बच्चे अस्पताल के वार्ड में थे भर्ती

हमीदिया अस्पताल में आग लगने के बाद अब तक 10 शव सामने आ चुके हैं और आठ बच्चों के शवों का पोस्टमॉर्टम हो चुका है, जबकि दो ऐसे बच्चे हैं, जिन्हें बिना पीएम के ही परिजन को सौंप दिया गया। मैनेजमेंट ने हादसे में अब तक चार बच्चों की मौत की ही पुष्टि की है। शिवानी, इरफाना, शाजमा, रचना के बच्चों की मौत रात में ही हो गई थी। इनकी चारों मौतों की पुष्टि हो चुकी है। वहीं, आज प्रभा, महरू, तरन्नुम, राहुल प्रजापति, रीना व ऊषा के बच्चों के शव भी सामने आए। अभी तक मैनेजमेंट ने हादसे में इन मौतों को स्वीकार नहीं किया है। पोस्टमॉर्टम कराने को लेकर भी स्थिति स्पष्ट नहीं है।

मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान

हमीदिया हादसे पर मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान ले लिया है। मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार जैन ने मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य तथा हमीदिया अस्पताल अधीक्षक से एक हफ्ते में जांच रिपोर्ट मांगी है।

कमलनाथ का आरोप- सरकार छिपा रही आंकड़े

हमीदिया अस्पताल पहुंचे पूर्व सीएम कमलनाथ ने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार आंकड़े छिपाने का खेल खेल रही है। मेरी मांग है कि हाईकोर्ट जज इसकी जांच करें। अभी जांच वो कर रहे हैं, जो खुद दोषी हैं। कमलनाथ करीब आधे घंटे अस्पताल में रुके। इधर, यह भी खबर आ रही है कि 7 में से 3 बच्चों की मौत अन्य कारण से हुई है। इससे पहले अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य मोहम्मद सुलेमान मंगलवार सुबह हमीदिया अस्पताल पहुंचे थे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हादसे की जांच की जिम्मेदारी सुलेमान को दी है। वे 20 मिनट तक ही यहां रहे। उनके साथ गांधी मेडिकल कॉलेज के डीन भी थे। उट शिवराज भी हमीदिया आ सकते हैं।

मौतों का बढ़ सकता है आंकड़ा

परिजनों का दावा है कि चार बच्चों की मौत की जानकारी सरकार की ओर से दी गई है, लेकिन आंकड़े इससे ज्यादा हैं। उनका कहना है कि रात ढाई बजे से मंगलवार सुबह तक अस्पताल मैनेजमेंट ने कई परिजन को उनके बच्चों की मौत की खबर दी है। ऐसे में आंकड़ा बढ़ सकता है। परिजन के आरोप पर मंत्री विश्वास सारंग का कहना है कि चार बच्चों की ही मौत हुई है, बाकी का बेहतर इलाज चल रहा है।

शॉर्ट सर्किट से लगी थी आग

प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल हमीदिया के कैम्पस में बने कमला नेहरू गैस राहत हॉस्पिटल में सोमवार रात 9 बजे आग लग गई थी। आग अस्पताल की तीसरी मंजिल पर बच्चा वार्ड के एनआईसीयू में लगी। यहां 40 बच्चे भर्ती थे। बिजली लाइन में शॉर्ट सर्किट हादसा हुआ और पीडियाट्रिक वेंटिलेटर ने आग पकड़ ली। फिर ये आग उस वॉर्मर तक पहुंच गई, जिसमें बच्चों को रखा गया था।

बार-बार नोटिस मिलने के बाद भी नहीं सुधारा फायर सिस्टम

कमला नेहरू चिकित्सालय में हुए दर्दनाक हादसे में हमीदिया अस्पताल मैनेजमेंट की बड़ी लापरवाही सामने आई है। नगर निगम का फायर ब्रिगेड विभाग के लगातार नोटिस के बाद भी मैनेजमेंट ने फायर सिस्टम सुधारने की जरूरत तक नहीं समझी। पिछले एक साल में करीब चार से पांच बार नोटिस जारी किए गए, पर मैनेजमेंट ने ध्यान नहीं दिया। आखिरी बार 22 जून को अस्पताल प्रबंधन को उनके फायर सिस्टम की खामी सुधारने के लिए नोटिस जारी किया गया था। इस नोटिस को भी 147 दिन बीत चुके हैं। 8 नवंबर तक अस्पताल प्रबंधन ने सुधार नहीं किया। न ही फायर सिस्टम को अपडेट किया ना नए उपकरण लगवाए और ना पुराने की मरम्मत करने की जहमत उठाई। नोटिस के पहले फायर डिपार्टमेंट की तरफ से 15 मई को मॉकड्रिल भी की गई थी। उस दौरान मिली खामियों में सुधार के लिए कहा गया था। यह भी चेताया गया था कि कभी कोई आगजनी घटना हुई, तो कैसे निपटेंगे। बहुत सारी गफलत मिली थी, लेकिन अस्पताल प्रबंधन की तरफ से नहीं सुधार नहीं किया गया। 22 जून के पहले 12 अप्रैल को भी फायर सिस्टम की खामियों और उसे सुधार के लिए नोटिस जारी किया गया था।

नगर निगम में फायर विभाग के प्रभारी अपर आयुक्त केएस परिहार ने बताया कि पिछले एक डेढ़ साल में कमला नेहरू चिकित्सालय को चार-पांच नोटिस जारी किए जा चुके हैं। इसके बाद भी डिपार्टमेंट की तरफ से लगातार भेजे गए नोटिस और खामियों को सुधारने को लेकर वे नजर अंदाज करते रहे। 15 मई को हॉस्पिटल में हुए मॉकड्रिल के दौरान उनके अधिकारी व कर्मचारी वहां साथ में थे। उन्हें बताया गया था कि फायर सेफ्टी के उपकरण खराब हैं। कोई आगजनी घटना हुई, तो कैसे बचाव करेंगे। इसके बाद भी हमारी तरफ से लगातार नोटिस जारी होता रहा, लेकिन सुधार नहीं किया।

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