Gupta Navratri 2021: प्रति वर्ष चार नवरात्रियां मनाई जाती है। सभी नवरात्रि शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से प्रारम्भ होकर नवमी तिथि तक मनाई जाती हैं। चारों नवरात्रियों का सनातन धर्म में अत्यंत महत्व है। जिनमें से माघ और आषाढ़ मास में आने वाली नवरात्रि को गुप्त कहा जाता है। इन्हें गुप्त कहने का कारण यह है कि इसे देवी की गुप्त शक्तियों की आराधना अर्थात् दश महाविद्याओं की पूजा-अर्चना का अवसर माना जाता है। इस बार गुप्त नवरात्रि 8 दिन की होगी, क्योंकि षष्टी और सप्तमी तिथि एक ही दिन होने के कारण सप्तमी तिथि का क्षय हुआ है। गुप्त नवरात्र का पर्व 11 जुलाई को शुरू होकर आषाढ़ शुक्ल नवमी यानि 18 जुलाई तक रहेगी।
गुप्त नवरात्रि का मुहूर्त
इस बार गुप्त नवरात्र पर सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है, जो कि सुबह 5:31 बजे से रात्रि 2:22 तक रहेगा और उस दिन रवि पुष्य नक्षत्र का भी योग बन रहा है। जो कि गुप्त नवरात्र में कलश स्थापना पर सभी कार्य सिद्ध करेगा। वहीं लाभ और अमृत का चौघड़िया प्रातः काल 9.08 मिनट से शुरू होकर 12.32 मिनट तक रहेगा। और अभिजित मुहूर्त दिन में 12.05 मिनट से शुरू होकर 12.59 मिनट तक रहेगा।
गुप्त नवरात्रि में पूजा पाठ
गुप्त नवरात्रि को सिद्धि प्राप्ति का समय माना जाता है। इसीलिए गुप्त नवरात्रि को प्रमुख रूप से साधुओं और तांत्रिकों की नवरात्रि भी कहा जाता है। आपदा-विपदा से रक्षा के लिए साधक चातुर्मास में मां जगदम्बा की पूजा की जाती है। यह आराधना गुप्त रूप से की जाती है और इसीलिए इसमें मानसिक पूजा का विशेष महत्व है।
घर पर संपन्न किए जाने वाली आराधना
गुप्त नवरात्रि में भक्त दुर्गा सप्तशती का पाठ कर सकते है, इससे विशेष लाभ प्राप्त होता है। दुर्गा सप्तशती के पाठ में दुर्गा कवच, अर्गला स्तोत्र और कीलक का पाठ अनिवार्य अंग है। दुर्गा सप्तशती के कवच पाठ में नौ स्वरूपों में पहला शैलपुत्री, दूसरा ब्रह्मचारिणी, तीसरा चन्द्रघंटा, चौथा कूष्माण्डा, पांचवां स्कन्दमाता, छठा कात्यायनी, सातवां कालरात्रि, आठवां महागौरी और नौवां सिद्धिदात्री का उल्लेख मिलता है।
सामान्य और नवरात्रि दोनों में चंडी पाठ और कुमारी पूजन का विशेष महत्त्व है। अगर आप किसी भी मंत्रों का जप करते आ रहे हैं, तो अष्टमी को उन मंत्रों का दशांश हवन करना चाहिए। विशेष हवन के लिए आप लाल चन्दन, अष्टगन्ध, खीर, मधु, अनार के दाने हवन सामग्री में मिला कर हवन कर सकते हैं।