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Gujarat High Court: पहली शादी से पैदा विधवा के बच्चे दूसरे पति से मिली संपत्ति के हकदार

नई दिल्ली। गुजरात हाईकोर्ट ने हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत अहम फैसला देते हुए कहा कि पहली शादी से पैदा हुए विधवा के बच्चे दूसरे पति से मां को मिलने वाली संपत्ति के हकदार होते हैं। अदालत ने निरुबेन चिमनभाई पटेल के वारिस बनाम गुजरात राज्य के मामले में यह व्यवस्था देते हुए कहा, जब कोई विधवा बिना वसीयत के मर जाती है, तो हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा-15 के तहत उसके उत्तराधिकारी संपत्ति के हकदार होते हैं।

कलेक्टर के आदेश को चुनौती

सिंगल जज की बेंच संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें कलेक्टर की ओर से दिए गए आदेश को चुनौती दी गई थी। इसमें कहा गया था कि इस केस में प्रॉपर्टी पैतृक संपत्ति थी और वसीयत के लाभार्थी को सिविल कोर्ट के आदेश पर दावा की गई संपत्ति का अधिकार मिल सकता है।

कोर्ट के सामने आया था यह विवाद

दरअसल, इस केस में संपत्ति के मूल मालिक माखनभाई पटेल थे, उन्होंने अपने दो बेटों के साथ पत्नी कुंवरबेन को संपत्ति के उत्तराधिकारियों में से एक के रूप में नामित किया था। इसे 1982 के राजस्व रिकॉर्ड में भी दर्ज कर लिया गया था। बाद में, कुंवरबेन ने अपनी पिछली शादी से हुए बेटे की विधवा के पक्ष में भूमि के अविभाजित हिस्से के लिए एक वसीयत तामील कराई। याचिकाकर्ता बहू के उत्तराधिकारी हैं, जो कुंवरबेन की मृत्यु के बाद संपत्ति में अपने हिस्से का दावा कर रहे थे।

प्रतिवादियों का यह था दावा

बेंच ने गौर किया कि कुंवरबेन की पहले किसी अन्य व्यक्ति से शादी हुई थी और उन्होंने बेटे को जन्म दिया था। बाद में उन्होंने माखनभाई से दूसरी शादी कर ली। उनकी वसीयत के अनुसार, माखनभाई से विवाह के बाद प्रतिवादी संख्या 5 और 6 का जन्म हुआ। बाद में उन्होंने अपनी संपत्ति को तीन हिस्सों में बांट दिया- एक पिछली शादी से हुए बेटे की मृत्यु के बाद उसकी बहू के लिए और बाकी माखनभाई के साथ विवाह से पैदा हुए अपने बेटों को दे दिया। प्रतिवादी संख्या 5 और 6 ने जोर देकर कहा कि चूंकि संपत्ति पैतृक थी इसलिए इसे केवल उन्हें ही दिया जा सकता है।

कानून की बात भी समझ लीजिए

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 की धारा 15 में बेटे से आशय को समझाया गया है कि अगर कोई हिंदू महिला के 2 बेटे हैं और उन दोनों के पिता अलग-अलग हैं, ऐसी स्थिति में हिंदू महिला की संपत्ति उसके दोनों ही पुत्रों को मिलेगी।
धारा 15 के अनुसार किसी हिंदू महिला की बिना वसीयत किए मृत्यु होने की स्थिति में उसकी संपत्ति  पुत्र, पुत्री और पति को, पति के वारिसों को, माता और पिता को, पिता के वारिसों को या माता के वारिसों को मिल सकती है।

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