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पेट्रोल-डीजल से लोगों की जेब हुई खाली, सरकार की हुई बेतहाशा कमाई

नई दिल्ली। एक तरफ पेट्रोल-डीजल की बढ़ी हुई कीमत से आम आदमी की जेब पर भारी बोझ पड़ रहा है, लेकिन सरकार इससे मिलने वाले टैक्स से अपना खजाना बढ़ रही है। सरकार ने संसद को बताया है कि पेट्रोल, डीजल और नेचुरल गैस के उत्पाद शुल्क से सरकार को शुल्क से होने वाली कमाई साल 2013-14 में जहां 53,090 करोड़ थी, वहीं अप्रैल 2020-21 में बढ़कर 2,95,201 करोड़ रुपये हो गई है। सरकार ने यह भी बताया है कि जहां 2013-14 में कुल राजस्व 12,35,870 करोड़ था, वह अब बढ़कर 24,23,020 करोड़ हो गया है।

गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत कम हो जाने के बाद भी केंद्र सरकार और राज्य सरकारें अपने करों में कटौती इसलिए नहीं करती हैं, क्योंकि ये कर राजस्व का एक प्रमुख स्रोत होते हैं, जबकि सरकारें यदि टैक्स में कटौती कर दें तो पेट्रोल सस्ता हो सकता है। पिछले छह सालों में पेट्रोल और डीजल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क के माध्यम से कुल कर संग्रह में 307.3 फीसदी की वृद्धि हुई है। पेट्रोल-डील की कीमतों के बढ़ जाने की मुख्य वजह उत्पाद शुल्क और वैट को ही माना जाता है। कई शहरों में पेट्रोल की कीमत शतक का आंकड़ां पार कर चुकी है। आज संसद के मानसून सत्र का पहला दिन था, लेकिन विपक्ष ने पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमत और महंगाई को लेकर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है।

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