उज्जैन। मध्य प्रदेश के उज्जैन से बाबा महाकाल के भक्तों के लिए बड़ी खुशखबरी आई है. इसके तहत अब श्रद्धालु सप्ताह के 3 दिनों को छोड़कर मंगलवार से शुक्रवार तक गर्भगृह में जाकर निशुल्क बाबा के दर्शन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकेंगे. पिछले ढाई माह से निशुल्क गर्भगृह दर्शन की व्यवस्था पर रोक लगी हुई थी. मंदिर समिति के सहायक प्रशासनिक अधिकारी आरके तिवारी ने बताया कि श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति ने यह निर्णय लिया है कि शनिवार, रविवार और सोमवार को छोड़कर सप्ताह के 4 दिनों तक मंदिर में कम भीड़ होने पर भक्तों को गर्भगृह में प्रवेश दिया जाएगा.
प्रशासक संदीप सोनी ने कहा,यह व्यवस्था भीड़ के दिनों को छोड़कर सामान्य दिनों में पूर्ववत जारी रहेगी। मंगलवार को 25 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल के दर्शन किए। बता दें, सोमवार को 1500 की रसीद लेकर गर्भगृह में प्रवेश करने वालों ने हंगामा किया था। इसके बाद व्यवस्था में काफी सुधार किया गया। अब 1500 की रसीद ऑनलाइन भी मिलेगी। अब दर्शन के लिए स्लॉट सिस्टम लागू किया जाएगा।
प्रशासक संदीप सोनी ने बताया, गर्भगृह में जब सामान्य लोगों को प्रवेश मिलेगा, तब 250 व प्रोटोकॉल व्यवस्था शिथिल रहेगी। पहले की तरह मंगलवार से शुक्रवार तक सामान्य भीड़ रहने पर ही यह व्यवस्था चलेगी, क्योंकि महाकाल लोक रोज लाखों श्रद्धालु आते हैं। संख्या बढ़ने पर सामान्य श्रद्धालुओं का प्रवेश रोका जा सकता है।
लंबे समय बाद मिला प्रवेश, खिले चेहरे
श्री महाकाल लोक का लोकार्पण होने के पहले से ही गर्भगृह में सभी श्रद्धालुओं का प्रवेश प्रतिबंधित किया गया था। लंबे समय के बाद अब मंगलवार को सामान्य श्रद्धालुओं को गर्भगृह में जैसे ही प्रवेश देने की बात लोगों तक पहुंची, तो वहां मौजूद दर्शनार्थी और मंदिर से जुड़े अन्य लोगों में खुशी की लहर छा गई। कई श्रद्धालुओं के चेहरे खिल उठे। मंदिर समिति की 1500 रुपए की रसीद पर दो श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया जाता है। रसीद काउंटर बड़ा गणेश और श्री महाकाल लोक की तरफ बनाए गए हैं। सुबह 6 बजे से दोपहर 1 और शाम 6 से रात 8 बजे तक ड्रेस कोड के साथ गर्भगृह में प्रवेश दिया जाता है। पुजारी-पुरोहितों को 10-10 रसीदें प्रतिदिन दी जाती हैं, ताकि उनके यजमानों को वे अंदर लाकर जल अर्पण करा सकें।
प्रशासक सोनी ने कहा कि अब 1500 की रसीद ऑनलाइन भी मिलेगी। साथ ही स्लॉट सिस्टम लागू किया जाएगा, उसमें जो समय दर्शाया जाएगा, श्रद्धालुओं को तभी आकर दर्शन करना होंगे, ताकि अगली बार इस तरह हंगामे जैसी कोई अप्रिय स्थिति न बने।