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Gita Jayanti 2021: गीता के इन श्लोकों में छिपा है जिंदगी का रहस्य, स्मरण मात्र से बनाए जीवन सफल

Gita Jayanti 2021: सनातन संस्कृति में श्रीमदभागवत गीता को पवित्र ग्रंथ माना गया है। महाभारत के युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का संदेश देकर मोह, माया और रिश्तों के बंधन से मुक्त होने की ओर अग्रसर किया था। जिन दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का संदेश दिया था उस तिथि को गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है। गीता जयंती मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इस वर्ष 14 दिसंबर मंगलवार को गीता जयंती का पर्व मनाया जाएगा। गीता के श्लोकों में जिंदगी को संस्कारों और सादगी के साथ जीने का सार छिपा हुआ है। गीता में जिंदगी की समस्याओं का समाधान है। अब हम बात करते हैं चुनिंदा श्लोंकों के बारे में जिनका प्रतिदिन स्मरण कर आप अपने मन, मस्तिष्क और आत्मा को पवित्र कर सकते हैं

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥

यदि आप किसी काम में सफलता चाहते हैं तो कर्म पर ध्यान दें. तभी बिना भटकाव के कर्म को पूरा कर पाएंगे. गीता में बताया गया है कि जब फल की इच्छा से कर्म करेंगे, तो कर्म पर ध्यान कम और फल पर ज्यादा रहेगा. इस कारण भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि कर्म व्यक्ति के अधिकार में है, फल की चिंता न करें. बस, कर्म करें.

क्रोधाद्भवति संमोह: संमोहात्स्मृतिविभ्रम:।
स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति।।

किसी भी कार्य की सफलता के लिए मन का शांत होना भी आवश्यक है. भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि क्रोध बुद्धि का नाश करता है. बुद्धिहीन व्यक्ति खुद का ही सर्वनाश कर लेता है. ऐसे में किसी भी कार्य की सफलता के लिए क्रोध का त्याग जरूरी है.

अज्ञश्चाश्रद्दधानश्च संशयात्मा विनश्यति।
नायं लोकोऽस्ति न परो न सुखं संशयात्मनः।।

गीता में कहा गया है कि जो व्यक्ति संदेह या संशय करता है, उसे कभी भी सुख और शांति नहीं मिलती. ऐसे में वह खुद का ही विनाश करता है. न इस लोक में सुख मिलता है और न परलोक में. इसलिए किसी भी कार्य में सफलता पाने के लिए संदेहरहित कार्य करें.

ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते।
सङ्गात्संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते॥

विषयों और वस्तुओं के प्रति लगाव भी असफलता का कारण बनता है. अगर आप लगाव को खुद से दूर नहीं करेंगे, तो वस्तुओं के लगाव से एक इच्छा जन्म ले लेगी, उसकी पूर्ति न होने पर क्रोध होगा. ये बातें सफलता के मार्ग में बाधा बनती हैं. ऐसे में किसी भी विषय या वस्तुओं से लगाव न रखें.

हतो वा प्राप्यसि स्वर्गम्, जित्वा वा भोक्ष्यसे महिम्।
तस्मात् उत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चय:॥

सफलता पाने के लिए डर को खत्म करना जरूरी है. गीता के इस श्लोक में बताया गया है कि जब अर्जुन कौरवों के विरुद्ध युद्ध नहीं करना चाहते थे, तब श्रीकृष्ण ने उन्हें कहा था कि तुम निडर होकर युद्ध करो. अगर मारे गए तो स्वर्ग मिलेगा और जीतने पर धरती पर राज करोगे. तो अगर आप किसी भी कार्य में सफलता पाना चाहते हैं तो डर को मन से निकालना होगा.

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