इस एकादशी व्रत कोे करने से मिलता है, सालभर की एकादशी का फल - Mradubhashi - MP News, MP News in Hindi, Top News, Latest News, Hindi News, हिंदी समाचार, Breaking News, Latest News in Hindi
//

इस एकादशी व्रत कोे करने से मिलता है, सालभर की एकादशी का फल

इस एकादशी व्रत कोे करने से मिलता है, सालभर की एकादशी का फल

30 मई दोपहर में 1.07 बजे होगी एकादशी तिथि की शुरुआत, उदया तिथि के आधार पर 31 मई को रखा जाएगा निर्जला एकादशी का व्रत

हिन्दू पंचांग अनुसार साल में 24 एकादशी पड़ती हैं, लेिकन सनातन धर्म में निर्जला एकादशी बहुत महत्व रखती है। इससे बड़ी कोई एकादशी नहीं होती। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है। जो कोई भी इस एकादशी का व्रत करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

इस दिन का व्रत बहुत कठिन माना जाता है, क्योंकि एकादशी से द्वादशी के सूर्योदय तक न अन्न और न ही जल ग्रहण किया जाता है। उदया तिथि के आधार पर निर्जला एकादशी का व्रत 31 मई को रखा जाएगा।

यही नहीं, इस एकादशी में दान का भी बहुत महत्व माना गया है। इस िदन अन्न, जल, वस्त्र, गौ, छाता, पानी, शर्बत, पंखा, जलपूर्ण कलश दान किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग सालभर की सारी एकादशी के व्रत नहीं रख पाते हैं, उन्हें निर्जला एकादशी का व्रत जरूर करना चाहिए,

क्योंकि इस व्रत को रखने से अन्य सभी एकादशी के बराबर पुण्य िमलता है। इस साल निर्जला एकादशी का व्रत 31 मई को रखा जाएगा। शास्त्रों में भी उल्लेख है कि कुंती पुत्र भीमसेन ने भी निर्जला एकादशी का व्रत किया था, इसलिए निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी कहते हैं।

इस एकादशी व्रत कोे करने से मिलता है, सालभर की एकादशी का फल

सर्वार्थ सिद्ध योग भी बन रहा

एकादशी तिथि की शुरुआत 30 मई दोपहर में 1 बजकर 07 मिनट पर होगी और इसका समापन 31 मई को दोपहर 1 बजकर 45 मिनट पर होगा, साथ ही इस दिन सर्वार्थ सिद्ध योग भी बन रहा है, जो सुबह 5 बजकर 24 मिनट से सुबह 6 बजे तक रहेगा।

निर्जला एकादशी का पारण 1 जून को किया जाएगा, जिसका समय सुबह 5 बजकर 24 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 10 मिनट तक रहेगा। व्रत के दिन सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु की पूजा कर ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप किया जाता है। एकादशी के दिन भगवान विष्णु की उपासना की जाती है। निर्जला एकादशी में पानी की एक बूंद भी ग्रहण नहीं की जाती है।

यह है पूजन विधि

इस दिन सुबह स्नान करने के बाद पीले वस्त्र पहनें और भगवान विष्णु की पूजा करें और व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु को पीले फूल, तुलसी दल और पंचामृत अर्पित करें, साथ ही भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप अवश्य करें। इस बात का ध्यान रखें कि आपको जल ग्रहण नहीं करना है और अन्न, फलाहार का भी सेवन नहीं करना है।

एक लकड़ी की चौकी पर थोड़ा सा गंगाजल छिड़क दें। इसके बाद पीले रंग का कपड़ा बिछाएं, फिर भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति स्थापित कर दें। इसके बाद भगवान का जल से आचमन करें। इसके बाद पीला चंदन लगाएं, फिर फूलमाला, अक्षत चढ़ाने के बाद भोग में केला, पीले फल या फिर मिठाई चढ़ाएं। इसके बाद घी का दीपक और धूप जलाकर एकादशी व्रत कथा, विष्णु चालीसा, मंत्र का जाप कर लें। अंत में विधिवत तरीके से आरती कर लें।

इसके बाद दिनभर व्रत रखने के बाद दूसरे दिन तक व्रत रखने के बाद शुभ मुहूर्त पर पारण कर दें। अपनी योग्यता अनुसार दान भी कर सकते हैं।