नई दिल्ली। रूसी सैनिकों के द्वारा यूक्रेन के बुचा में की गई बर्बरता दुनियाभर में चर्चा का विषय बनी हुई है। बुचा में चार सौ से अधिक नागरिकों के शव पाए गए और इन सभी लाशों को एक गड्ढे में दफना दिया गया। अब बुचा नरसंहार के खिलाफ जर्मनी ने रूस पर एक्शन लेते हुए रूस के 40 राजनयिकों को अपने यहां से निकाल दिया है। जर्मनी की तरफ से इन राजनयिकों को वहां आने से मना कर दिया गया है। जर्मनी की इस प्रतिक्रिया के बाद देखना है रूस का अगला कदम क्या हो सकता है।
दरअसल, यूक्रेन के बुचा में रूसी सैनिकों द्वारा किए गए नरसंहार की प्रतिक्रिया में जर्मनी द्वारा यह कार्रवाई की गई है। जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक ने इस बात की घोषणा करते हुए कहा कि सरकार ने फैसला किया है कि रूसी दूतावास के वे बहुत सारे लोग जो रोज यहां हमारी स्वतंत्रता और सामाजिक समरसता के विरुद्ध काम करते रहे हैं, हमारे यहां उनका स्वागत नहीं है। इसके लिए रूस के राजदूत सर्गई नेथायेव को विदेश मंत्रालय ने बकायदा समन दिया है।
इटली ने भी राजनयिकों को निकाला!
रिपोर्ट्स के मुताबिक जर्मनी के इस सख्त फैसले के बाद रूसी राजनयिकों के पास देश छोड़ने के लिए पांच दिन का वक्त है। यह भी आरोप लगाया गया कि यह सभी लोग रूसी जासूसी एजेंसी के लिए काम करते थे। इससे पहले इटली ने भी सुरक्षा चिंताओं के कारण 30 रूसी राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है। इटली ने रूस के राजदूत को यह बताने के लिए तलब किया है कि राजनयिकों को निष्कासित किया जा रहा है।
राष्ट्रपति जेलेंस्की ने किया बुचा का दौरा
इस घटना के सामने आने के बाद सोमवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने बुचा का दौरा किया था। उन्होंने स्थानीय लोगों से बात की और कहा कि रूस ने यूक्रेन में युद्ध अपराध के साथ ही नरसंहार किया है। जेलेंस्की ने बुचा में उन रूसी हथियारों और टैंकों का भी जायजा लिया जिन्हें जंग के दौरान यूक्रेनी सेना ने तबाह कर दिया था।