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बीसीसीआई में गांगुली और जय शाह के 2025 तक बने रहेंगे

नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह का कार्यकाल आगे बढ़ाने का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बीसीसीआई को अपने संविधान में संशोधन करने की अनुमति दे दी।

इसके चलते 2019 में बोर्ड के पदाधिकारी बने गांगुली और शाह 2025 तक अपने पद पर बने रह सकते हैं। साल 2013 में इंडियन प्रीमियर लीग में हुए भ्रष्टाचार को आधार बनाते हुए क्रिकेट एसोसिएशन आॅफ बिहार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। मामले को सुनते हुए कोर्ट ने माना था कि क्रिकेट बोर्ड में बड़े पैमाने पर सुधार की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने देश के पूर्व प्रधान न्यायाधीश जस्टिस आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था। लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों के आधार पर कोर्ट ने बीसीसीआई को संविधान बनाने के लिए कहा। साल 2018 में लागू हुए इसी संविधान के कुछ बिंदुओं को लेकर क्रिकेट बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

ऐसे मिली राहत

याचिका में जो सबसे प्रमुख मांग थी कि राज्य क्रिकेट बोर्ड और बीसीसीआई को मिलाकर कुल 6 साल के कार्यकाल के बाद 3 साल के कूलिंग ऑफ़ के नियम को हटाया जाए। बोर्ड ने कहा था कि अगर किसी पदाधिकारी ने 6 साल बीसीसीआई में ही बिताए हैं तभी कूलिंग ऑफ़ का नियम लागू होना चाहिए। इस प्रस्ताव को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और हिमा कोहली की बेंच ने मान लिया है। सौरव गांगुली 2014 में बंगाल क्रिकेट बोर्ड के सचिव बने थे। जय शाह भी उसी साल गुजरात क्रिकेट बोर्ड के सचिव बने थे। इस हिसाब से 2020 के बाद से दोनों बीसीसीआई के पद के अयोग्य हो गए थे। अब कोर्ट ने संविधान में बदलाव को हरी झंडी दे दी है।

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