Gangubai Kathiawadi: इन दिनों अभिनेत्री आलिया भट्ट और फिल्मकार संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ की काफी चर्चा हो रही है। इस बात पर भी काफी चर्चा हो रही है कि आखिर गंगूबाई कौन थी और किस वजह से उनकी निजी जिंदगी को लेकर बायोपिक बनाई जा रही है? आइए एक नजर डालते हैं गंगूबाई की निजी जिंदगी के खास पहलूओं पर।
काठियावाड़ी की रहने वाली थी गंगूबाई
काठियावाड़ी के सम्मानित, संस्कारी और शोहरत वाले खानदान से गंगूबाई ताल्लुक रखती थी। घर में किसी चीज की कोई कमी नहीं थी, लेकिन गंगूबाई की हसरतें कुछ और ही थी और वह बॉलीवुड की चकाचौध में खिंची चली आई। काठियावाड़ से जब वह अपने सपनों को पूरा करने के लिए निकली तो सीधे कमाठीपुरा का कोठा उनके नसीब में आया। गंगूबाई का जन्म 1939 में काठियावाड़ के मशहूर वकील हरजीवन दास के यहां पर हुआ था। परिवार में उनकी बेहतर परवरिश हुई और उनकी हर ख्वाहिशें भी पूरी की गई, लेकिन जवानी के दौर में वो खुद को संभाल नहीं सकी और पिता के यहां अकाउंटेंट का काम करने वाले लड़के को दिल दे बैठी। परिवार ने जब रिश्ते पर एतराज जताया तो वह उसके साथ भागकर मुंबई आ गई।
प्रेमी ने पहुंचाया कोठे पर
प्रेमी ने गंगू का सौदा कोठे पर कर दिया। गंगू ने यहां पर सब कुछ लुटने के बाद खुद को संभाला जिंदगी को नए सिरे से संवारने का फैसला किया। उसने बिंदास होकर उस वक्त कहा था, ‘गंगू चांद थी और चांद ही रहेगी’। गंगू ने कोठों की दुखियारी लड़कियों को सहारा देने का निश्चय किया। 1960 के दशक में मुंबई में उनके नाम की दबदबा था। अंडवर्ल्ड से लेकर राजनीति तक उसकी बहुत पहुंच थी।
कमाठीपुरा में लगी हुई है गंगूबाई की फोटो
गंगूबाई के साथ एक बार करीम लाला के गैंग के एक गैंगस्टर ने दुष्कर्म किया। गंगूबाई ने जब लाला से इसकी शिकायत की तो करीम लाला ने उस गैंगस्टर को सबक सिखाया और गंगू से राखी बंधवाकर उसको अपनी बहन बना लिया। गंगू अब कोटे की बेताज मलिका बन गई थी। जब वह बेंटले कार में सोने की किनारी वाली साड़ी और ब्लाउज़ में सोने के बटन टांक कर निकलती थी तो हर कोई उसको देखता रह जाता था। आज भी गंगू के फोटो कमाठीपुरा के कोठों की दीवारों पर लगे मिल जाते हैं।