Ganesh Utsav 2021: श्रीगणेश की आराधना का पौराणिक शास्त्रों में विशेष उल्लेख किया गया है। शास्त्रोक्त मान्यता है कि गजानन की उपासना से समस्त कष्टों का नाश होता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। गणपतिजी की विभिन्न प्रतिमाओं की उपासना से भक्त को अलग-अगल फलों की प्राप्ति होती है।
सिद्धिविनायक गणेश
मंदिर में श्रीगणेश की स्थापना का विशेष महत्व रहता है। मान्यता है कि मंदिर के गर्भगृह में दक्षिणामुखी गणेश की स्थापना करना चाहिए। दक्षिणामुखी गणेश को सिद्धिविनायक भी कहा जाता है।
वक्रतुंड गणेश
सनातन संस्कृति के हर घर में गजानन की प्रतिमा की उपासना की जाती है। घर में वाममुखी महागणपति की स्थापना करना चाहिए। वाममुखी महागणपति को वक्रतुंड भी कहा जाता है।
बाल गणेश
संतान सुख की प्राप्ति के लिए भक्त को श्रीगणेश के बाल स्वरूप की आराधना करना चाहिए। इसके लिए घर में बाल गणेश की प्रतिमा या उनकी तस्वीर रखकर पूजा-अर्चना करनी चाहिए। बालगणेश की आराधना से विद्वान और स्वस्थ्य संतान की प्राप्ति होती है।
नृत्य गणेश
जीवन में आनंद उत्साह और उन्नति के लिए घर में गणपति की नृत्य मुद्रा वाली प्रतिमा की स्थापना करना चाहिए। मान्यता है कि नृत्य गणपति की घर में रखने से परिवार में उत्साह और उमंग का माहौल रहता है। इस प्रतिमा की पूजा से छात्रों और कला जगत से जुड़े लोगों को विशेष लाभ मिलता है।
आराम गणेश
घर में सुख-समृद्धि के स्थायित्व के लिए श्रीगणेश की आराम मुद्रा या आसन पर विराजित मुद्रा वाली प्रतिमा को पूजाघर में रखना चाहिए। विश्राम अवस्था वाले गणेशजी की स्थापना करने से सौभाग्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इनकी पूजा गृहस्थों एवं व्यवसायियों के लिए शुभ माना गया है।
सिंदूरी गणेश
जीवन के विघ्नों के विनाश के लिए घर में सिंदूरी रंग के गणपति की पूजा करना चाहिए। सिंदूरी गणपति की पूजा करने से जीवन की विघ्न-बाधाओं का नाश होता है और समस्त कार्यों में सफलता मिलती है।