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Ganesh Utsav 2021: वेदव्यास से जुड़ी है गणेश विसर्जन की कथा, इसलिए होती है स्थापना और विसर्जन

Ganesh Utsav 2021: गणेश उत्सव के दौरान गणेश चतुर्थी के दिन श्रीगणेश की स्थापना की जाती है और अनन्त चतुर्दशी के दिन गजानन का विसर्जन किया जाता है। गणपति विसर्जन का शास्त्रोक्त वर्णन धर्मग्रंथों में किया गया है। श्रीगणेश के विसर्जन की कथा महर्षि वेदव्यास से जुड़ी हुई है। आइए जानते हैं गणेश विसर्जन से जुड़ी कथा को।

महाभारत का किया था लेखन

शास्त्रोक्त पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि वेदव्यासजी ने संपूर्ण महाभारत के दृश्य को अपने अंदर आत्मसात कर लिया था। किंतु वेदव्यासजी इसके कथानक को लिपिबद्ध करने मे असमर्थ थे। इस कार्य के लिए उनको किसी ऐसे निपुण देवता की तलाश थी , जो बिना रुके संपूर्ण महाभारत का लेखन कर सके। वेदव्यासजी नें अपनी समस्या ब्रह्माजी को बताई। ब्रहमाजी ने उनको बताया कि श्रीगणेश बुद्धि के देवता हैं और उनको लेखन कार्य में दक्षता हासिल है। वे आपकी सहायता अवश्य करेंगें। ब्रहमाजी के आदेश पर वेदव्यासजी ने गणेशजी से महाभारत लेखन की प्रार्थना की। गजानन भगवान ने निवेदन करने पर अपनी स्वीकृति दे दी।

वेदव्यास ने गणेश जी को सरोवर में करवाया था स्नान

महर्षि वेदव्यास ने लगातार दस दिनों तक महाभारत का संपूर्ण वृतान्त गणेश जी को सुनाया जिसे गणेश जी ने अक्षरशः लिपिबद्ध किया। महाभारत लेखन का जब समापन हो गया तब वेदव्यास जी ने अपनी आखें खोली और देखा कि इस कठिन लेखन कार्य से श्रीगणेश के शरीर का तापमान बहुत अधिक हो गया था। गजानन के शरीर का तापमान कम करने के लिए वेदव्यास जी ने उनके शरीर पर मिट्टी का लेप किया। मिट्टी सूख जाने के बाद गणपतिजी का शरीर अकड़ गया और शरीर से मिट्टी झड़ने लगी तब भी महर्षि वेदव्यास गणेश जी को सरोवर में लेकर गए थे और वहां पर मिट्टी का लेप साफ किया था।

10 दिनों तक हुआ था महाभारत का लेखन

मान्यता है कि श्रीगणेश ने महाभारत लेखन का प्रारंभ भाद्रपद मास की चतुर्थी तिथि को किया था और इसका समापन अनंत चतुर्दशी के दिन हुआ था। इसलिए इस मास की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी कहा जाता है और इस दिन से 10 दिनों तक श्रीगणेश की स्थापना की जाती है। अनंत चतुर्दशी के दिन गजानन का जल में विसर्जन कर उनको भावभीनी विदाई दी जाती है।

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