Mradhubhashi
Search
Close this search box.

Ganesh Chaturthi 2021: श्रीगणेश को है मोदक अतिप्रिय, जानिए इसकी शास्त्रोक्त कथाएं

Ganesh Chaturthi 2020: भगवान श्रीगणेश को भक्तगण बड़े तन-मन से भोग लगाते हैं। गजानन को विभिन्न मिष्ठान्नों का भोग लगाया जाता है और मनोकामना पूर्ति की कामना की जाती है। मान्यता है कि श्रीगणेश को मोदक अति प्रिय है। आइए जानते हैं श्रीगणेश की मोदक से जुड़ी शास्त्रोक्त कथा के बारे में।

परशुराम से युद्ध में टूट गया था दांत

पौराणिक कथाओं में श्रीगणेश को विघ्नहर्ता कहा गया है। गणपतिदेव की भक्ति करने से वे प्रसन्न होते हैं और अपने भक्त को मनचाहा आशीर्वाद प्रदान करते हैं। श्रीगणेश को मोदक का भोग लगाने की परंपरा है। एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार गणेश जी और परशुराम जी के बीच भीषण युद्ध हुआ था। इस युद्ध में परशुरामजी के परशु के प्रहार से श्रीगणेश का एक दांत टूट गया था। इस कारण उनको खाने में काफी परेशानी होती थी। ऐसे में गजानन के आहार की परेशानी को दूर करने के लिए मोदक का भोग लगाया गया। मोदक मुलायम मेवे से युक्त होते हैं इसलिए आसानी से मुंह में घुल जाते हैं। इसलिए यह गणपतिदेव का प्रिय आहार है।

देवी अनुसूया ने खिलाया था श्रीगणेश को मोदक

एक पौराणिक आख्यान के अनुसार एक बार महर्षि अत्रि ने गणेश जी को भोजन पर आमंत्रित किया। अत्रि ऋषि की पत्नी अनुसूया ने गणेश जी के लिए भोजन तैयार किया और उनको परोसा। श्रीगणेश ने देवी अनुसूया के द्वारा तैयार किया गया समस्त भोजन खा लिया, लेकिन उनकी भूख शांत ही नहीं हो रही थी, देवी अनुसूया को इस बात की चिंता होने लगी कि यदि श्रीगणेश तृप्त नहीं हो पाए तो क्या होगा। घर आए अतिथि को बिना तृप्त किए नहीं लौटा सकते हैं। तब अनुसूया जी ने सोचा कि गणेश जी को खाने के लिए कुछ मीठा दे दिया जाए। गणेश जी को तृप्त करने के लिए अनुसूया ने मोदक बनाए और उनको परोसे। गणेश जी जैसे-जैसे मोदक खातें मीठे मोदक उनके मुंह में जाकर घुल जाते। मोदक खाकर गणेश जी का मन और पेट दोनों भर गए और वे बहुत प्रसन्न हुए।

पद्म पुराण में वर्णित है मोदक की कथा

पद्म पुराण में भी मोदक को लेकर एक कथा का वर्णन किया गया है। इसके अनुसार शिव-पार्वती एक बार देवलोक पहुंचे। उन्होंने वहां पर एक स्वादिष्ट उत्तम गुणों वाला मोदक बनाया। जो भी उस मोदक को खाता वह विज्ञान, शास्त्र, कला एवं लेखन में निपुण हो जाता। कार्तिकेय और श्रीगणेश इस मोदक को बांटकर नहीं खाना चाहते थे। इसके बाद दोनों में तय हुआ कि वे अपनी अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करेंगे। अलग अलग विधाओं में पारंगत होने के लिए कार्तिकेय जहां यात्रा पर निकल गए. वहीं भगवान श्रीगणेश ने अपने माता पिता की परिक्रमा करना शुरू कर दिया। ऐसा करने की वजह पूछे जाने पर गणेश जी ने कहा कि माता पिता की भक्ति के बराबर और उससे बड़ा कुछ नहीं हो सकता। गणेशजी के इस उत्तर से प्रसन्न होकर शिव-पार्वती ने उनको मोदक दे दिया।

ये भी पढ़ें...
क्रिकेट लाइव स्कोर
स्टॉक मार्केट