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Ganesh Chaturthi 2021: श्रीगणेश शुभकार्यों में करते हैं विघ्नों का विनाश, जानिए प्रथम पूजनीय की शास्त्रोक्त कथाएं

Ganesh Chaturthi 2021: समस्त देवी-देवताओं में श्रीगणेश को प्रथम पूजनीय कहा गया है। शुभ कार्यों का प्रारंभ श्रीगणेश की आराधना के साथ किया जाता है। भगवान गजानन को आमंत्रित कर सर्वप्रथम पूजा करने से समस्त कार्य निर्विघ्न संपन्न होते हैं। शास्त्रों में श्रीगणेश के प्रथम पूजनीय होने के संबंध में अलग- अलग कथाएं मिलती हैं।

शिव महापुराण

शिव महापुराण की कथा के अनुसार जब भगवान महादेव और श्रीगणेश के बीच युद्ध हुआ और गणेशजी का सिर कट गया तो देवी पार्वती के कहने पर शिवजी ने गणेश जी के शरीर पर हाथी का सिर जोड़ दिया। जब देवी पार्वती ने भगवान भोलेनाथ से कहा कि इस स्वरूप में मेरे पुत्र की पूजा कौन करेगा? तब महादेव ने वरदान दिया कि समस्त देवी-देवताओं की पूजा और हर मांगलिक कार्य से पहले श्रीगणेश की पूजा की जाएगी। इनकी पूजा के बिना हर पूजा और काम अधूरा माना जाएगा।

लिंग पुराण

लिंग पुराण की एक कथा के अनुसार देवताओं ने भगवान शिव से राक्षसों के दुष्कर्मो में विघ्न पैदा करने के लिये वर मांगा। शिवजी ने तथास्तु कहकर देवताओं को वर दे दिया। समय आने पर श्रीगणेश का प्राकट्य हुआ। समस्त देवताओं ने श्रीगणेश जी की पूजा-अर्चना की। भगवान भोलेनाथ ने श्रीगणेश को दैत्यों के कामों में विघ्न पैदा करने का आदेश दिया। इसलिए प्रत्येक मांगलिक कार्य और पूजा-पाठ में नकारात्मक शक्तियों के विघ्नों के विनाश के लिए श्रीगणेश जी की पूजा की जाती है।

महर्षि पाणिनि

महर्षि पाणिनि के अनुसार दिशाओं के स्वामी यानी अष्टवसुओं के समूह को गण कहा जाता है। इन अष्टवसुओं के स्वामी श्रीगणेश हैं। इसलिए इनको गणपति कहा जाता है। श्रीगणेश की पूजा के बगैर शुभ कार्यों में किसी भी दिशा से किसी भी देवी-देवता का आगमन नहीं होता है। इसलिए हर मांगलिक कार्य और पूजा से पहले भगवान श्रीगणेश की आराधना की जाती है।

वाराह पुराण

वाराहपुराण के अनुसार जब देवगणों की प्रार्थना सुनकर उनके मुख से एक परम सुंदर, तेजस्वी कुमार वहां प्रकट हुआ। उसमें ब्रह्मा के सब गुण विद्यमान थे और वह रूद्र जैसा ही लगता था। तब क्रोधित होकर देवी पार्वती ने हाथी के सिर वाला, लंबे पेट वाला और सांपों के जनेऊ वाला होने का श्राप दे दिया। इस पर शंकरजी ने क्रोधित होकर अपने शरीर को धुना, तो उनके रोमों से हाथी के सिर वाले, अनेक शस्त्रों को धारण किए हुए इतने विनायक उत्पन्न हुए कि पृथ्वी पर हाहाकार हो गया। तब देवताओं ने महादेव से प्रार्थना की कि आपके मुख से पैदा हुए ये विनायकगण आपके इस पुत्र के वश मे रहें। तब महादेव ने तथास्तु कहकर श्रीगणेश को यज्ञादि समस्त कार्यों में प्रथम पूजन का वरदान दिया।

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