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पहली बार वैज्ञानिकों ने खोजा ऐसा ग्रह, जो गोल नहीं है

पेरिस। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने एक विकृत आकार के ग्रहीय पिंड को खोजा है। 2019 में लॉन्च कैरेक्टराइजिंग एक्सोप्लेनेट सैटेलाइट ने अपनी खोज में पाया कि यह ग्रहीय पिंड गोल आकार का नहीं है और यह अपने मेजबान तारे की परिक्रमा एक दिन से भी कम समय में पूरी कर लेता है। यानी इस ग्रह का एक वर्ष 24 घंटे से भी कम समय का होता है। 

सूर्य से 200 डिग्री ज्यादा गर्म

अजीबोगरीब आकार वाले इस एक्सोप्लैनेट का नाम डब्ल्यूएएसपी -103बी है। यह अपने होस्ट-तारे डब्ल्यूएएसपी -103बी की परिक्रमा करते हुए हरक्यूलिस के तारामंडल में स्थित है। डब्ल्यूएएसपी -103 सूर्य से 200 डिग्री ज्यादा गर्म और 1.7 गुना बड़ा है। एक्सोप्लैनेट धरती से 35 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। एक्सोप्लैनेट का आकार बृहस्पति का दोगुना और द्रव्यमान 1.5 गुना है। एक्सोप्लैनेट के अजीबोगरीब आकार का प्रमुख कारण ग्रह और उसके होस्ट-तारे के बीच बड़े पैमाने पर ज्वारीय बल हैं।

होस्ट तारे के बेहद करीब

एक्सोप्लैनेट अपने होस्ट तारे के बेहद करीब मौजूद है जिसकी वजह से यह इसका चक्कर एक दिन से भी कम समय में पूरा कर लेता है। अगर इस गुण की तुलना पृथ्वी से की जाए तो इस एक्सोप्लैनेट पर एक साल 24 घंटे से भी छोटा होता है। यही कारण है कि इसका ज्वार पृथ्वी के ज्वार की तुलना में बहुत ज्यादा है। खगोलविद लंबे समय से मानते हैं कि इस तरह की निकटता किसी ग्रह को अपने होस्ट-तारे से एक मजबूत ज्वार का अनुभव करने का कारण बन सकती है। लेकिन शोधकर्ता अभी तक इसे माप नहीं पाए हैं।

एक्सोप्लैनट का आकार रग्बी बॉल जैसा

चिपो सैटेलाइट को 2019 में लॉन्च किया गया था ताकि ज्ञात एक्स्ट्रासोलर प्लैनेट्स का आकार निर्धारित किया जा सके। इस सैटेलाइट की मदद से वैज्ञानिक ग्रहों के द्रव्यमान, घनत्व, संरचना और बनावट का अनुमान लगाने में सक्षम हुए हैं। हाल ही में खोजे गए एक्सोप्लैनेट का आकार किसी रग्बी बॉल की तरह है। पिछले साल वैज्ञानिकों ने एल 98-59 तारे की परिक्रमा करने वाले एक एक्सोप्लैनेट की खोज की थी। यह एक्सोप्लैनेट पूरी तरह से पानी से भरा हुआ था जिसके कारण इस पर जीवन पाए जाने की संभावना कई गुना बढ़ गई थी।

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