नई दिल्ली। बिहार में बीते दिन बिजली गिरने से 17 लोगों की मौत हो गई। सबसे ज्यादा छह मौतें भागलपुर जिले से हुईं, जबि तीन वैशाली में, दो-दो बांका और खगड़िया में, इसके अलावा मधेपुरा, सहरसा, मुंगेर और कटिहार में भी एक-एक व्यक्ति की जान चली गई। बिहार सरकार ने प्रत्येक मृतक के परिवार के लिए चार लाख रुपये मुआवजे का एलान किया है। इस बीच एक बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि आखिर आसमानी बिजली की वजह से भारत में लोगों की मौत कैसे हो जाती है?
दरअसल, मानसून सीजन के शुरू होने के साथ ही उत्तर प्रदेश और बिहार समेत कई राज्यों से आसमानी बिजली की चपेट में आकर लोगों के मरने की खबरें भी आने लगी हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर भारत में बिजली गिरने से मौतों का आंकड़ा क्या है और यह कितना आम है? इसके अलावा आखिर आसमानी बिजली किसी व्यक्ति की जान कैसे ले लेती है? क्या इससे बचने का कोई तरीका है?
भारत में कितनी आम हैं बिजली गिरने से जान जाने की घटनाएं ?
भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली गिरने की घटनाओं पर चर्चा काफी आम है। हालांकि, ऐसी प्राकृतिक आपदाएं शहरी इलाकों में ज्यादा होती हैं। पूरे भारत की बात करें तो हर साल यहां बिजली गिरने से औसतन 2,000 से 2,500 मौतें होती हैं। प्राकृतिक आपदाओं में बिजली गिरना भारत में मौतों का सबसे बड़ा कारण है। कुछ साल पहले सिर्फ तीन दिन में ही 300 लोगों की बिजली गिरने से मौत की बात सामने आई थी। इस आंकड़े से देशभर के वैज्ञानिक और अधिकारी चौंक गए थे।
भारत में अनुसंधान से जुड़े काम कम ही हुए
बिजली गिरने से होने वाली मौतों की इस बड़ी संख्या के बावजूद भारत में इस पर अनुसंधान से जुड़े काम कम ही हुए हैं। इसी के चलते वैज्ञानिकों द्वारा आसमानी बिजली से बचाव के जो तरीके सुझाए जाते हैं, उन्हें बाकी प्राकृतिक आपदाओं- भूकंप और बाढ़ जैसा प्रचार नहीं मिलता। वैज्ञानिकों का तो यहां तक कहना है कि पिछले 20 वर्षों में भारत में बिजली गिरने की घटनाएं ज्यादा रिकॉर्ड की गई हैं। खासकर हिमालय के निचले हिस्सों में।
किन चीजों को निशाना बनाती है?
बादलों से गिरने वाली बिजली जबरदस्त तेज होती है, जो कि पूरे वातावरण की ऊर्जा को जमीन की तरफ केंद्रित कर देती है। आसान भाषा में समझें तो बिजली गिरने की प्रक्रिया तब होती है, जब बादल की निचली परत और मध्य परत के बीच विद्युत विभ्यांतर ज्यादा हो जाता है। इसी वजह से बादल में तेजी से जबरदस्त करंट बहने लगता है, जो कि गर्मी पैदा करता है। जैसे ही यह गर्मी बढ़ती है बिजली की एक तेज लहर बाहर की तरफ निकलती है। इसका कुछ अंश धरती की तरफ भी बढ़ता है और यही विद्युत जान-माल के नुकसान की वजह बनती है। इसकी आशंका ज्यादा रहती है कि बिजली किसी ऊंची जगह जैसे पेड़, टावर या बिल्डिंग पर गिरेगी। जैसे ही बिजली बादलों से धरती की तरफ बढ़ती है, यह ज्यादातर ऊंची जगहों को निशाना बनाती है। इसकी वजह यह है कि हवा एक खराब विद्युत चालक है। ऐसे में बादलों से गिरने वाली बिजली धरती तक जल्दी पहुंचने के लिए सबसे छोटा रास्ता अपनाती है और किसी ऊंची जगह पर गिरती है।
बिजली गिरे तो कैसे करें खुद का बचाव?
ऐसे बहुत कम ही मामले सामने आए हैं, जब आसमानी बिजली ने सीधे किसी व्यक्ति को निशाना बनाया हो। लेकिन ऐसी घटनाएं हमेशा जानलेवा ही साबित होती हैं। बिजली गिरने से लोगों की मौत अधिकतर इसलिए होती है, क्योंकि धरती से टकराने के बाद भी ऊर्जा जमीन में एक बड़े इलाके में फैल जाती है। इस इलाके में जितने लोग मौजूद होते हैं, उन्हें बिजली के जोरदार झटके लगते हैं। मानसून के दौरान यह स्थिति और घातक हो जाती है, क्योंकि इस मौसम में बारिश की वजह से अधिकतर जमीन गीली रहती है। चूंकि पानी बिजली का अच्छा चालक है, इसलिए मानसून के दौरान जो भी बिजली जमीन से टकराती है, वह ज्यादा बड़े इलाके में और तेजी से फैलती है। यानी इस क्षेत्र में जितने भी लोग मौजूद होते हैं, वे बिजली के जबरदस्त झटके महसूस करते हैं। यही झटके लोगों की मौत का कारण बनते हैं। बारिश या तूफान की स्थिति में बिजली गिरने की लोकेशन का सही अंदाजा लगाना नामुमकिन है। ऐसे में मौसम विभाग ने आसमानी बिजली से बचने के लिए कुछ निर्देश जारी किए हैं। जैसे बारिश की स्थिति में लोगों को पेड़ के नीचे न छिपने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा जमीन पर लेटने से भी बिजली के झटके लगने का खतरा बढ़ जाता है। लोगों को तूफान के दौरान घर के अंदर रहने और घर में भी बिजली के तार, धातु और पानी से दूर रहने की सलाह दी जाती है।