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फोटो तक ही सीमित रह गया 5 जून पर्यावरण दिवस | जिम्मेदार करते है खानापूर्ती

फोटो तक ही सीमित रह गया पर्यावरण दिवस

पर्यावरण दिवस: सब लगे उजाड़ने में सवारने में कोई नही आगे बस फिर कैसा पर्यवारण दिवस

पर्यवारण दिवस पर हर साल जिले में कटते हैं लाखों पेड़ लगाने के नाम पर बस खानापूर्ति

आशीष यादव/धार -पर्यावरण दिवस हर वर्ष की तरह इस बार भी 5 जून को अधिकांश लोग फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम पर पर्यावरण के प्रति अपना प्रेम जताते दिखेंगे। केंद्र और राज्य सरकारें भी विज्ञापनों और सोशल मीडिया प्रचार के इस होड़ में पीछे नहीं रहेंगी। गौरतलब ये है कि 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस के तौर मनाया जाता है।

जहां एक और देश में प्रधानमंत्री पौधे लगाने की बात करते है व मुख्यमंत्री हर दिन पौधा रोपित करते है मगर उनके जिम्मेदार कर्मचारी पर्यावरण दिवस के नाम पर बस खाना पूर्ति करते नजर आते है दूसरी और सरकार भी पर्यावरण को बढ़ावे देनी की बात करते है ,मगर जमीनी स्तर पर आज तक विकास व उघोगों के नाम पर बस हजारों लाखों पेड़ पौधे काटे गए हैं काटे गए पोधो की जगह आज भी ना मात्र के पौधे लगे व जो लगे है वह भी खत्म हो गए है।

उनकी जगह आज भी खाली जगह दिखाई देती है वही पर्यवारण के नाम पर कई योजना वन विभाग व अन्य विभागों द्वारा लाई जाती है मगर वह जमीनी स्तर पर दिखाई नहीं देती है। बता देकी की विकास तो सरकार ने किया मगर उस विकास के नाम पर पर्यावरण की बलि भी दी है मगर उनके बलि देने के बाद भी आज तक जिले में पर्यावरण को खत्म करने की जगह नए पौधे विकसित नही हुए। जिले में सवा लाख हेक्टेयर वन भूमि भौगोलिक क्षेत्र के हिसाब से काफी बढ़ा है। वन विभाग के अनुसार धार जिले में 1.25 लाख हेक्टेयर वन भूमि है। वनभूमि पहाड़ी में फैली हुई है।

बता दे की धरती पर इंसान के रहने योग्य बनाने के लिए प्रकृति व पर्यावरण को सुरक्षित रखना चाहिए। पर्यावरण और धरती जीवन जीने के लिए सबसे जरूरी चीजें उपलब्ध कराती है, जैसे सांस लेने के लिए हवा और पेट भरने के लिए भोजन पानी। हालांकि धरती को जीने के लिए एक अच्छे वातावरण की जरूरत होती है, जो प्रकृति देती है।

प्रकृति और पर्यावरण ब्रह्मांड को सुचारू तौर पर चलाने का काम करता है। प्रकृति हमें जीने के लिए बहुत कुछ देती है हालांकि इंसान बदले में प्रकृति का दोहन करता है और पर्यावरण को प्रदूषित करता है। इससे प्रकृति को नुकसान होता है और जनजीवन खतरे में पड़ जाता है। इंसान का कर्तव्य है कि ग्लोबल वार्मिंग, मरीन पॉल्यूशन के बढ़ते खतरे और बढ़ती उघोगो से निकलने वाला प्रदूषण का भी  नियंत्रित करें, ताकि पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सके। 

विकास के नाम ज्यादा उजड़ा पर्यावरण:
जहां एक और सरकारों ने विकास के नाम पर पर्यावरण का दोहन ज्यादा किया है वहीं हर जगह विकास के नाम पर पर्यावरण के रूप में पेड़ पौधों को काटकर उनकी जगह सड़कों व बड़े-बड़े सरकारी भवनों के साथ उद्योगों को स्थापित किया मगर उनकी जगह नियम अनुसार जो पौधारोपण व जो पौधों का लगना होता है उनको सिर्फ कागजों तक ही सीमित रखा। जमीनी स्तर पर ना उतारे है अगर लगे भी है तो कागजों में लगाकर ही सीमित कर दिया वही अगर विकास कार्यो जो नुकसान पोधो का होता है उनकी जगह चार गुणा पौधा रोपण का नियम है मगर वह आज तक कहि दिखाई नही दिया

सबसे ज्यादा बली सड़कों पर दी जाती है
आपको बता दें कि जहां सरकार यातायात व्यवस्था सुगम करने की बात करती हुए विकास करती है वहीं विकास कार्यों में पर्यावरण में एक अहम भूमिका निभाता है व विकास के रूप में सड़के तो बना दी जाती है मगर जमीनी स्तर पर काटे गए पौधों की जगह नए पौधे नहीं लगाए जाते हैं अगर लगाए भी जाते हैं तो उनमें पानी व उनकी देखरेख नहीं की जाती है आपको बता दें इंदौर-अहमदाबाद रोड तो बना लाखों पौधे भी कटे मगर उनकी जगह आज भी नया पौधा बड़ा आकार नहीं ले सका बल्कि के जो लगे पौधे उनको भी अभी एनएच काटने का काम कर रहा है।

दूसरा मामला नागदा गुजरी मार्ग जहां एमपीआरडीसी 3 हजार पौधे लगाने की बात करता है वही जमीनी स्तर जीरो बटे संनाटा है उनकी जगह एक पौधे भी नजर नहीं आते हैं जो लगाए पौधे हैं वह वन विभाग के हैं मगर वह भी देखरेख के अभाव में वीरान हो गए हैं ऐसा ही हाल लेबड जावरा रोड के भी है जिले में ऐसी कई सड़कें व कई उद्योग है जिनके लिए विकास के लिए हजारों लाखों पेड़ों की बलि दी मगर उनकी जगह आज भी खाली नजर आती है।

जिम्मेदारो को याद आता 5 जून को पर्यावरण प्रेम:
जहां देश दुनिया में 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाया जाता है वही इस दिन पर्यावरण प्रेमियों का पर्यावरण के प्रति प्रेम उमड़कर कर सामने आता है इस दिन सरकारी अधिकारी व वन विभाग के जिम्मेदारो के साथ से एनजीओ समाजसेवी भी बढ़चढ़ के आगे आते है व पर्यावरण दिवस पर प्रेम दिखाते हैं पौधारोपण कर फोटोशूट करवा कर 5 जून पर्यवारण दिवस मनाते व बाद में जो पौधा लगया है उस ओर झाखकर भी नही देखते है अगर पर्यावरण प्रेम दिखाना है तो इसके लिए जिम्मेदारों को हर रोज अपनी जिम्मेदारी समझकर पर्यावरण दिवस पर ही नहीं हर दिन पर्यावरण को सवारना होगा।

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