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आपातकाल : जब आज के सीएम शिवराज ने उस वक्त कहा था, ‘मैं बहुत दुबला-पतला हूं, ज्यादा पिटाई मत करो’

भोपाल। कुछ भी कर लें आपातकाल की यादें मिट नहीं सकतीं। आज भी उस दौर की यादें रुला जाती हैं। ऐसी ही यादों को लोकतंत्र सेनानी तपन भौमिक ने याद किया। आज उस दौर के युवा प्रदेश की राजनीति में अहम भूमिका निभा रहे हैं। आपातकाल का विरोध पूरे देश में हुआ। प्रदेश की जेलें भी युवाओं से खचाखच भर गई थीं। सभी लोकतंत्र सेनानी पुलिस के निशाने पर थे। आज के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी उस दौर में पुलिस की बहुत मार खाई थी।

देश में आपातकाल को शुक्रवार को 43 बरस हो गए। इमरजेंसी में मध्यप्रदेश के युवाओं ने लोकतंत्र सेनानी के तौर पर हिस्सा लिया था। आज उस दौर के युवा प्रदेश की राजनीति में अहम भूमिका निभा रहे हैं। करीब 13 सौ से ज्यादा मीसाबंदी लोकतंत्र सेनानी आज पुराने दिनों को याद कर रहे हैं। आपातकाल का पूरे देश में विरोध हुआ था। भोपाल में भी स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाले युवाओं ने जेल भरो आंदोलन किया। आंदोलन में शामिल हुए तपन भौमिक ने बताया कि उस समय कई लोग जेल गए। पूरी जेल युवाओं से भरी हुई थी। हमारे साथ में जेल में आज के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी थे। आपातकाल का विरोध करने पर हम लोगों की जमकर पिटाई हुई।

बसे छोटे नेता, लेकिन जिम्मेदारी बड़ी

आंदोलन में शामिल हुए तपन भौमिक ने कहा- मुझे और शिवराज पर भाषण देने की जिम्मेदारी थी। पुलिस उन्हें हबीबगंज स्टेशन स्थित थाने में ले गई और शरीर में चार-चार इंच की जगह छोड़कर जमकर डंडों से पीटा। तपन ने बताय- पिटाई के वक्त शिवराज ने पुलिसकर्मी से कहा था- मैं बहुत दुबला-पतला हूं. ज्यादा पिटाई मत करो। क्या पता आने वाले समय में हमारी ही सरकार बन जाए। इतना सुनते ही पुलिसकर्मी ने गुस्से से उनकी और पिटाई की। तपन भौमिक का कहना है कि मैं और शिवराज उस समय के नेताओं में सबसे छोटे थे। इसलिए हर छोटे-छोटे काम को करने की जिम्मेदारी मेरे और शिवराज को दी जाती थी। 15 अगस्त हो या 26 जनवरी हो या कोई दूसरा मौका हो, भाषण हम दोनों की ही जिम्मेदारी होती थी।

कैलाश सारंग ने पिता की तरह रखा ध्यान

तपन भौमिक ने बताया कि उनके साथ जेल में कैलाश सारंग ने बड़ी भूमिका निभाई। हम सभी की पूरे परिवार की तरह ही जेल में देखभाल की। एक संरक्षक पिता की भूमिका में कैलाश सारंग रहे। हम सभी के खाने की जिम्मेदारी, स्वास्थ्य से लेकर हर छोटी से छोटी जरूरत का कैलाश सारंग ने ध्यान रखा। किसी की तबीयत खराब हो या किसी को चाय या दूध की छोटी से छोटी किसी भी चीज की जरूरत हो, कैलाश सारंग हर एक युवा का ध्यान रखते थे। तपन भौमिक एक किस्सा सुनाते हुए कहते हैं कि एक दिन हम सभी कैलाश जी के पास जाकर बोले- सारंगजी बाटियां कब बनेंगी। उस पर उन्होंने कहा रुको, 15 दिन बाद बाटी का नंबर आएगा। इंतजार करने की बात इसलिए कही गई थी क्योंकि इतने दिनों में 5 से 6 किलो घी इकट्ठा हो जाता। क्योंकि बिना घी से बाटियां नहीं बनतीं। बाटियां बनवाने के लिए कैलाश जी ने हमारी रोटियां पर घी लगाना बंद कर दिया और 15 दिन तक उसे जमा करते रहे। 15 दिनों बाद जब घी इकट्ठा हो गया तब हम सभी को हमारी मनपसंद बाटियां खिलाई गईं।

खूब हंसाते थे बाबूलाल गौर

तपन भौमिक ने बताया कि उस समय हमारे साथ जेल में बाबूलाल गौर भी थे। गौर हम सभी का मनोरंजन भरपूर किया करते थे। चुटकुले-कहानियां सुनाकर हम सभी को चिंताओं से उबारकर हंसाते रहते थे। वे हमेशा हम युवाओं को यही कहते थे खूब खुश रहो और चिंताओं से हमेशा दूर रहो। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश ही एक ऐसा राज्य है जहां मीसा बंदियों (लोकतंत्र सेनानी)को सम्मान निधि सबसे ज्यादा दी जाती है। हम सभी को 25 हजार की पेंशन दी जाती है। जिन लोकतंत्र सेनानियों की मौत हो गई है उनके परिजन को आधी पेंशन यानी 12500 आज भी दिए जा रहे हैं।

कांग्रेस पर लगाया आरोप

कांग्रेस सरकार ने मीसा बंदियों को दी जाने वाली सम्मान निधि बंद करने की तैयारी की थी। कांग्रेस ने सभी लोकतंत्र सेनानियों का वैरिफिकेशन कराने की बात कही थी। हालांकि, वैरिफिकेशन के बाद एक भी लोकतंत्र सेनानी अपात्र नहीं था। जबकि, कांग्रेस का कहना था कि शिवराज सिंह चौहान ने अपात्रों को भी पेंशन दिला रहे हैं। जांच के बाद सभी लोकंतंत्र सेनानियों को पेंशन कांग्रेस को देनी पड़ी और अपने आदेश को वापस लेना पड़ा।

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