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धीमी-धीमी E Registry – संपत्ति के पंजीकरण की ऑनलाइन व्यवस्था की सांस फूली, रोज सर्वर डाउन

e registry संपत्ति के पंजीकरण की ऑनलाइन व्यवस्था की सांस फूली, रोज सर्वर डाउन

E Registry: ई-संपदा बनी सजा, पूरे प्रदेश में दिक्कत,रजिस्ट्री कराने वाले हो रहे परेशान

E Registry: भोपाल\इंदौर- मध्यप्रदेश में प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री कराना इन दिनों बहुत मुश्किल काम हो गया है। कुछ साल पहले तक प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री मैनुअल हुआ करती थी। तब इसकी वजह से काम में देरी होने के चलते इस व्यवस्था को ऑनलाइन करने का फैसला लिया गया, ताकि काम में तेजी आए, लेकिन अब यह ऑनलाइन व्यवस्था भी पर्याप्त साबित नहीं हो रही है। नतीजा फिर वही पुराना कि प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री में देरी होने लगी है। कई बार तो संपत्ति की रजिस्ट्री के लिए हफ्तेभर से ज्यादा इंतजार करना पड़ता है। इसकी मुख्य वजह अकसर सर्वर डाउन रहना है।

ऐसा नहीं है कि इस ओर ध्यान आकर्षित नहीं किया गया, बल्कि आलम यह है कि सर्विस प्रोवाइडर्स शिकायत करते-करते थक गए हैं। अब तो उन्होंने शिकायत करना भी बंद कर दिया है। सर्विस प्रोवाइडर्स भले ही थक गए हैं, लेकिन लोग परेशान हो गए हैं। उन्हें (E Registry) स्लॉट बुक कराने के बाद भी घंटों तक इंतजार करना पड़ता है। यह हाल प्रदेश के इक्का-दुक्का शहरों का नहीं है, बल्कि लगभग सभी शहरों का है। चाहे राजधानी भोपाल हो या इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर जैसे बड़े शहर। या फिर उज्जैन, अशोकनगर, गुना जैसे मंझोले शहर दिक्कत सभी जगह है।

कुछ मिनटों का काम अब घंटों में:
सर्विस प्रोवाइडर्स के मुताबिक जिस काम के लिए 10-15 मिनट लगने चाहिए उस काम के लिए इन दिनों पूरा दिन लग जाता है। कई बार तो एक काम के लिए हफ्तेभर का समय लग जाता है। संपत्ति की रजिस्ट्री के लिए आने वाले लोग रोज तकलीफ से गुजरते हैं। (E Registry) सॉफ्टवेयर को लेकर रोजाना सौ-डेढ़ सौ शिकायतें रोज की जाती हैं, लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं निकल रहा है।

सर्वर की रफ्तार क्यों हुई कम ?
जानकार बताते हैं कि मप्र में संपत्तियों की ई रजिस्ट्री के लिए जिस सर्वर का इस्तेमाल किया जा रहा है, उसकी क्षमता रोजाना 7 हजार यूजर्स की है, लेकिन इस (E Registry) सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल रोजाना 10 हजार यूजर्स कर रहे हैं। यही वजह है कि सर्वर स्लो हो गया है। ऐसे में संपत्ति की रजिस्ट्री की संख्या कम हो गई है।

इन दिक्कतों से होता है सामना:

  • सॉफ्टवेयर में आईडी-पासवर्ड सही डालने के बाद भी कई बार यह लॉग-इन नहीं होता।
    -ऐसा कई बार होता है कि चलते-चलते खुद ही सॉफ्टवेयर लॉग-आउट हो जाता है।
    -सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि ई-रजिस्ट्री के दौरान सर्वर की समस्या के चलते डीडी करप्ट हो जाता है।
  • कई बार ऐसा भी होता है कि ई-साइन और फोटो प्रिंट नहीं होता।
    -स्लॉट बुक कराने के बाद भी घंटों तक इंतजार करना पड़ता है।

सॉफ्टवेयर पर करोड़ों खर्च,नतीजा कुछ नहीं:

जानते हैं कि संपत्ति की रजिस्ट्री (E Registry) के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सॉफ्टवेयर पर कितना खर्च किया जा रहा है और किया जाता रहा है। दरअसल जुलाई 2015 में विप्रो के ई-संपदा सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल शुरू हुआ था। यह कंपनी ही बैक ऑफिस पर रजिस्ट्री की गतिविधि संभाल रही थी। विप्रो और मप्र सरकार के बीच अनुबंध मार्च 2023 तक था। इस व्यवस्था पर अभी तक सालाना आठ करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।

इसके बाद एक अन्य कंपनी आँरन प्रो को यह जिम्मेदारी दी गई है। आँरन प्रो को सैलरी और अन्य मद में डेढ़ करोड़ रुपए का पेमेंट किया जाता है। अलग-अलग (E Registry) सॉफ्टवेयर कंपनियों को बतौर लाइसेंस फीस साढ़े छह करोड़ का पेमेंट हो रहा है। इसके बाद भी लोग ई-रजिस्ट्री कराने के लिए परेशान हो रहे हैं।

अधिकारियों का दावा- रजिस्ट्री की संख्या बढ़ी:

सॉफ्टवेयर में दिक्कत के बावजूद अधिकारियों का दावा है कि संपत्ति की रजिस्ट्री की संख्या बढ़ी है। अधिकारी कहते हैं कि इंदौर में 8 फीसदी ज्यादा रजिस्ट्रियां हुई हैं। मध्यप्रदेश रजिस्ट्रेशन एवं स्टाम्प विभाग के आंकड़ों के मुताबिक मप्र में फाइनेंशियल ईयर 2022-23 में राज्य में 13 लाख 18 हजार रजिस्ट्रियां हुई हैं। इसका मतलब यह है कि प्रदेश में हर कार्य दिवस पर चार से पांच हजार रजिस्ट्रियां की गईं। विभाग को 8 हजार 890 करोड़ रुपए का रेवेन्यू मिला।

2022-23 में चार बड़े शहरों का रेवेन्यू:

इंदौर: 2084 करोड़,भोपाल :1158 करोड़ ,ग्वालियर: 492 करोड़ ,जबलपुर: 592 करोड़

इंदौर : दो क्षेत्रों में दफ्तर, फिर भी भीड़

इंदौर के सर्विस प्रोवाइडर्स के मुताबिक शहर के पूर्व व पश्चिम क्षेत्रों में पंजीयन कार्यालय खोले गए हैं ताकि जो व्यक्ति संपत्ति की रजिस्ट्री कराना चाहते हैं वे अपने नजदीक ही रजिस्ट्री करा सकें, लेकिन इसके बावजूद कई घंटे तो छोड़िए, रजिस्ट्री (E Registry) कराने वाले लोगों को कई दिनों तक इंतजार करना पड़ रहा है।

सरकार द्वारा पेपरलेस मुहिम के तहत पंजीयन कार्यालय को ऑनलाइन सिस्टम से जोड़ा गया था, लेकिन यह आॅनलाइन सिस्टम अब मुसीबत बनता जा रहा है। सबसे बड़ी समस्या तो तब आ जाती है जब पंजीयनकर्ता स्लॉट बुक कराने के बाद भी कई घंटों तक इंतजार करता रहता है। एक वरिष्ठ अधिवक्ता प्रमोद त्रिवेदी का कहना है कि पंजीयन कार्यालय को केवल इनकम का सोर्स बनाकर रखा गया है। यहां (E Registry) सॉफ्टवेयर अपडेट करने या देखरेख का कोई जरिया नहीं है।

अशोकनगर : रात 12 बजे तक काम

रजिस्ट्रार कार्यालय अशोकनगर में सर्वर डाउन होने के कारण दिन में रजिस्ट्रियां नहीं हो पा रही हैं। इसके चलते इन दिनों यहां रात 10 से 12 बजे तक काम किया जा रहा है। सबसे अधिक परेशानी ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले क्रेता-विक्रेता और उनके गवाहों को हो रही है। शुक्रवार को भी रजिस्ट्रार कार्यालय में काफी भीड़ रही। ढाकोनी के पास से आए राजेंद्र ने बताया कि वे सुबह 9.30 बजे यहां आ गए थे, लेकिन सर्वर न मिलने के कारण दोपहर तक रजिस्ट्री (E Registry) नहीं हो पाई।

फिर 3 बजे का समय दिया गया। साथ ही कहा गया कि यह पक्का नहीं है कि 3 बजे रजिस्ट्री हो ही जाएगी। पांच भी बज सकते हैं। ऐसी ही परेशानी अन्य क्रेता-विक्रेताओं ने बताई। मार्च से ही इस प्रकार की परेशानी आ रही है। सर्विस प्रोवाइडर्स के मुताबिक रात 9 बजे से सुबह 9 बजे तक ही सर्वर मिल रहा है। इस कारण रात-रातभर जागकर काम करना पड़ रहा है। एडवोकेट दिलीप शर्मा ने बताया कि रात 12 बजे से सर्वर मिलता है। हेड र्क्वाटर से भी कोई मदद नहीं मिल पा रही है। उल्लेखनीय है कि अशोकनगर रजिस्ट्रार कार्यालय में औसतन हर दिन 60 रजिस्ट्रियां होती हैं, लेकिन वर्तमान में लगभग 40 रजिस्ट्रियां ही हो पा रही हैं।


उज्जैन : जनवरी से चल रही दिक्कत

पिछले कुछ महीनों से उज्जैन के जिला पंजीयक कार्यालय पर रजिस्ट्री करवाने में पसीना छूट रहा है। लिंक फेल होने के कारण काफी देर तक इंतजार पड़ रहा है। इस वजह से कार्यालय में भीड़ जमा हो रही है। अप्रैल में नया सॉफ्टवेयर आना था जो अब तक नहीं आया है।

उज्जैन के सर्विस प्रोवाइडर्स के मुताबिक उज्जैन जिला पंजीयन कार्यलय में जनवरी से ही इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है। आए दिन लिंक फेल हो जाती है। सर्वर साइड पर रजिस्ट्री का प्रमेंट करने, रजिस्ट्री की डीड गायब होने से लंबी प्रोसेस करना पड़ रही है। अधिकारियों के छुट्टी पर जाने से स्लॉट कम हो गए है। पहले 219 का स्लॉट होता था लेकिन अब 110 के करीब हो गया है।

रतलाम : मामला वित्तमंत्री तक पहुंचा

पिछले दिनों रतलाम रजिस्ट्रार कार्यालय में सर्वर की दिक्कत से परेशान सर्विस प्रोवाइडर्स ने विधायक चेतन्य काश्यप से मुलाकात की। उन्होंने समस्या के निराकरण की मांग की। इस पर विधायक ने वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा से बात कर सर्विस प्रोवाइडर्स की दिक्कत के बारे में चर्चा की। विधायक ने बताया कि समस्या जल्द ही दूर हो जाएगी।

नया सॉफ्टवेयर हो रहा तैयार
हम सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर तुरंत उसके निराकरण के प्रयास करते हैं। इन दिनों दिक्कतें बढ़ गई हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए अब नया सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है।

एम सेलवेंद्रन, महानिरीक्षक पंजीयन, मप्र रजिस्ट्रेशन एवं स्टाम्प विभाग

दोपहर 12 से शाम 4 बजे तक दिक्कत
तमाम पंजीयन कार्यालयों पर सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए तमाम तरह की व्यवस्था की गई है, लेकिन दोपहर 12 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक काफी दबाव रहने के कारण सॉफ्टवेयर धीमा चलता है। इसके बावजूद भी 8 प्रतिशत अधिक रजिस्ट्री कार्यालय द्वारा की गई हैं।

दीपक शर्मा, जिला पंजीयन अधिकारी, इंदौर

दो-तीन महीने से है समस्या
सर्वर डाउन रहने की थोड़ी समस्या तो चल रही है। समस्या दो-तीन महीने से बनी हुई है। हैडक्वार्टर के नॉलेज में भी यह चीज है। बीच-बीच में सर्वर ठीक हो जाता है, लेकिन लोड के कारण थोड़ी बहुत समस्या आती है। पूरे प्रदेश में ही इस तरह की समस्या आ रही है।
अन्विति तिवारी, सब रजिस्ट्रार, अशोकनगर

आधी अधूरी रजिस्ट्री
उज्जैन में जनवरी-फरवरी से ही समस्या का सामना करना पड़ रहा है। आए दिन लिंक फेल हो जाती है। आधी अधूरी रजिस्ट्री हो रही है। स्लॉट लेने के बाद भी दो से तीन दिन का इंतजार करना पड़ रहा है। सर्वर के स्लो चलने के कारण रजिस्ट्री करने वाली पार्टियां नाराज हो रही हैं।

रवि मित्तल उपाध्यक्ष, भरतपुरी पंजीयन एसोसिएशन, उज्जैन

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