Mradhubhashi
Search
Close this search box.

Diwali 2021: महादेव ने बताया था श्रीयंत्र का रहस्य, जानिए किस दिन होता है यह सिद्ध

Diwali 2021: सनातन संस्कृति के शास्त्रों में धन, वैभव और समृद्धि के अनेकों उपाय बतलाए गए हैं। श्रीयंत्र एक ऐसा यंत्र है, जिसकी उपासना से विपुल धन की प्राप्ति की जा सकती है। आइए जानते हैं श्रीयंत्र से जुड़े कुछ विशेष, दुर्लभ रहस्यों को।

महादेव ने शंकराचार्य को बताया था श्रीयंत्र का रहस्य

शास्त्रोक्त मान्यता है कि जगतगुरु शंकराचार्य ने महादेव की घोर तपस्या की थी। महादेव ने प्रसन्न होकर शंकराचार्य को दर्शन दिए ओर उनसे वर मांगने को कहा। आदिगुरु ने कैलाशपति महादेव से जगत कल्याण का उपाय पूछा। भोलेनाथ ने जगतगुरु को लक्ष्मी स्वरूपा श्रीयंत्र के बारे में विस्तार से बताया और कहा कि श्रीयंत्र त्रिपुर सुंदरी का आराधना स्थल है। श्रीयंत्र में अंकित चक्र में देवी स्वयं विराजमान रहती है और देवी त्रिपुर सुंदरी का रथ भी श्रीयंत्र है।

ब्रह्मांड का प्रतीक है श्रीयंत्र

श्रीयंत्र की पूजा से धन, वैभव, यश, कीर्ति की प्राप्ति होती है और जगत कल्याण होता है। इसलिए आदिगुरु शंकराचार्य के काल से इस यंत्र की पूजा का विधान प्रचलन में है। समस्त ब्रह्मांड का प्रतीक श्रीयंत्र को माना गया है। ‘श्री’ शब्द का अर्थ लक्ष्मी, सरस्वती, शोभा, संपदा और विभूति है। श्री यंत्र को कल्पवृक्ष भी कहा जाता है। इसकी उपासना से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। श्रीयंत्र की आराधना करने वाले उपासक को धन संपत्ति विद्या और सुख की प्राप्ति होती है इसलिए ‘श्री’ देने वाली विद्या को श्रीविद्या कहा जाता है।

यंत्रराज है श्रीयंत्र

सभी यंत्रों में श्रीदेवी का श्रीयंत्र सर्वश्रेष्ठ माना गया है। श्रीयंत्र को यंत्रराज की उपाधि दी गई है। दीपावली, धनतेरस, बसन्त पंचमी अथवा पौष मास की संक्रान्ति के दिन यदि रविवार हो तो इस यंत्र का निर्माण और पूजन से मनोकामनाएं सिद्ध होती है।

महालक्ष्मी को प्रिय है श्रीयंत्र

श्रीयंत्र का उल्लेख तंत्रराज, ललिता सहस्रनाम, कामकला विलास, त्रिपुरोपनिषद आदि पौराणिक ग्रंथों में मिलता है। महापुराणों में श्री यंत्र को देवी महालक्ष्मी का प्रतीक कहा गया है। महालक्ष्मी स्वयं कहती हैं – ‘ श्री यंत्र मेरा प्राण, मेरी शक्ति, मेरी आत्मा तथा मेरा स्वरूप है। श्री यंत्र के प्रभाव से ही मैं पृथ्वी लोक पर वास करती हूं।’

श्रीयंत्र को यंत्रराज, यंत्र शिरोमणि, षोडशी यंत्र और देवद्वार भी कहा गया है। ऋषि दत्तात्रेय और दुर्वासा ने श्रीयंत्र को मोक्षप्रदाता माना है। जैन शास्त्रों ने भी इस यंत्र का वर्णन मिलता है।

ये भी पढ़ें...
क्रिकेट लाइव स्कोर
स्टॉक मार्केट