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Dhar: घर का भेदी ढहाएगा लंका

Dhar: घर का भेदी ढहाएगा लंका

आशीष यादव/धार – महाकाव्‍य रामायण में विभीषण को लेकर कही जाने वाली सबसे चर्चित मुहावरा घर का भेदी ही लंका ढहाता है। कई बार कलयूग में भी उन भेदियों के लिए कही गई है जो घर के होने के बाद भी दुश्‍मन को गोपनिय जानकारी और लंका ढहाने में मदद करते है। सतयुग में जब यह घटित हुई थी उस वक्‍त असत्‍य पर सत्‍य की जीत के लिए विभीषण ने भगवान राम की मदद करना अपना धर्म समझा था लेकिन कलयूग में अपने मतलब के लिए कुछ जयचंद व‍िभीषण को लेकर कहे गए उस मुहावरे घर का भेदी ढहाएगा लंका को चरितार्थ करते नजर आते है।

आज हम बात कर रहे है ऐसे ही जयचंद की जो घर का होने के बावजूद घर को कमजोर करने में लगा है। धार शहर में मांडू नाके स्थित एक बडा कार्यालय स्थित है। जहां पर जंगलो की हिफाजत करने का काम होता है। इस विभाग में बीते कुछ दिनों से एक ऐसा जयचंद पैर पसार रहा है जो ना सिर्फ विभाग के लिए बल्कि विभाग की गोपनियता के लिए खतरा बनता जा रहा है इस जयचंद के बारे में हम आपको बता दे कि यह एक जमाने में मंत्री के आडे आ गाया था।

जिसका खामियाजा इसे बहुत ज्‍यादा भुगतना पडा था। जैसे-तैसे दौबारा इस जयचंद ने धार का रुख किया अब मुख्‍यालय तो जयचंद पहुंच गया है लेकिन उसकी जयचंदी भी सरेआम देखने को मिल रही है। विभाग की गोपनीय जानकारी दुश्‍मनों को देकर विभाग के लिए परेशानी खडी की जा रही है वही दूसरी तरफ खुद का पाकसाफ और वफादार बताने में जयचंद लगा हुआ है। विभाग के नए साहब तक भी इस बात की जानकारी पहुंची है लेकिन जयचंद की रफूगिरी के कारण यह फ‍िलहाल बचा हुआ है।

सेवा नियमों का उल्‍लघंन :

दरअसल जब भी कोई व्‍यक्ति सरकारी सेवाओं जाता है तो उसे सिविल सेवा नियमों का पालन करना होता है इसमें प्राथमिकता रहती है कि विभाग की गोपनियता क‍िसी भी सुरत में भंग नही की जा सकती यदि गोपनियता भंग करते कोई पाया जाता है तो उस पर सख्‍त कार्रवाई होती है। लेकिन धार के मांडू नाका स्थित इस विभाग के जयचंद ने कई जानकारियां बाहर सार्वजनिक की है जिसका असर है कि सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत लगने वाले आवेदनों की बाढ सी आ गई है। अब देखना यह होगा कि विभाग के बडे अफसर इस जयचंद पर किस तरह नकेल कस पाते है।

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