उज्जैन। सोमवार से पितृपक्ष शुरू हो चूका है। सनातन धर्म में पितृपक्ष के दौरान अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और दान -पूण्य का अति महत्व बताया जाता है। पितृपक्ष की शुरुआत के साथ ही उज्जैन के सिद्धवट मंदिर और शिप्रा घाट पर लोगों का जमावड़ा देखने को मिला।
पुराणों के अनुसार पितृपक्ष में तर्पण और दान -पूण्य करने से पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है। और उज्जैन में पितृ तर्पण का विशेष महत्व बताया गया है। दूर दूर से लोग उज्जैन के सिद्धवट मंदिर, गयाकोटा और रामघाट में तर्पण के लिए आते है। इस साल भी पितृ शांति के पूजा पाठ करते हुए भक्तों का जमावड़ा देखने को मिला।
मान्यता है की सिद्धवट पर माता सीता ने वटवृक्ष लगाया था, जिसकी पितृपक्ष में पूजन – अर्चन की जाती है। मान्यता है की वनवास के दौरान भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण ने अपने पिता दशरथ का पिंडदान भी उज्जैन में ही किया था। बताया जाता हैं कि उज्जैन में श्राद्ध करने से पितरो को बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती हे।
उज्जैन से मृदुभाषी के लिए अमृत बैंडवाल की रिपोर्ट।