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Coronavirus: दूल्हे के पास टिकट नहीं, दुल्हन है क्वारंनटाइन, कैसे होंगे सात फेरे?

Coronavirus: कोरोना वायरस ने इंसान के जीने के मायने बदलकर रख दिए हैं। रोजाना की दिनचर्या से लेकर कारोबार तक में काफी बदलाव हुए हैं। बदलती दुनिया का असर लोगों की जिंदगी पर साफ देखा जा रहा है। कहीं पर विवाह को लेकर दिक्कत हो रही है तो कहीं अपनों को अंतिम विदाई के लिए भी मिन्नतें करना पड़ रही है। विवाह समारोह में इस वक्त लोगों को काफी समस्या हो रही है। कोरोना की त्रासदी और लॉकडाउन में रस्में निभाना मुश्किल हो रहा है।

दूल्हे के पास टिकट नहीं, दूल्हन है क्वारंटाइन

कहीं पर दूल्हे को टिकट नहीं मिल रहा है तो कहीं दूल्हन घर पर क्वारंटाइन है। शादी का मुहूर्त निकला जा रहा है, लेकिन हर कोई बेबस, लाचार और हालात के हाथों मजबूर हैं। उत्तर प्रदेश के पिपराइच के रहने वाले श्याम और शालिनी की कहानी कुछ ऐसी ही है। दोनों की शादी 26 अप्रैल को तय हुई है। श्याम दिल्ली में और शालिनी मुम्बई में नौकरी करती है। शालिनी 18 अप्रैल को गोरखपुर पहुंच गईं और कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए वह सेल्फ क्वारंटाइन हो गईं हैं। वहीं श्याम ट्रेन के टिकट के लिए परेशान हैं। उन्हें कन्फर्म बर्थ नहीं मिल रही है।

बाइक से आने का दूल्हे ने बनाया प्लान

श्याम का कहना है कि बस में भीड़ की हालत देखते हुए इतने लंबे सफर की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा हूं। उन्होंने कोरोना को देखते हुए रिश्तेदारों को तो शादी में आने से रोक दिया है लेकिन वे सात फेरे तय तारीख पर ही लेंगे। इसके लिए उनको दिल्ली से गोरखपुर तक बाइक से आना भी मंजूर है। फोन पर बात करते हुए उन्होंने ‘हिन्दुस्तान’ अखबार से कहा कि ट्रेन में जगह नहीं मिली तो बाइक की टंकी फुल कराकर गोरखपुर के लिए निकल लूंगा। बाइक से गोरखपुर आने में 20 घंटे लगेंगे। आने के बाद वह कोरोना की जांच कराएंगे और तय तारीख पर बिल्कुल ही सादे समारोह में परिणय सूत्र में बंध जाएंगे।

तय समय पर होगी शादी

उधर क्वारंटाइन में दिन गुजार रही शालिनी का कहना है कि वह क्वारंटाइन जरूर हैं लेकिन उन्हें किसी भी प्रकार की कोई तकलीफ नहीं है। विवाह तय समय पर ही होगा। विवाह समारोह में कोविड नियमों का पालन करते हुए सिर्फ 15 से 20 लोगों को आमंत्रित किया गया है। उधर श्याम के परिजनों ने उसको बाइक से इतनी लंबी यात्रा करने से मना किया है, लेकिन मामला जन्म-जन्मांतर के बंधन का है इसलिए दिल है कि मानता नहीं।

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