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क्रिकेट और मैं

तुषार रामडिया. अगर आपने भारतीय क्रिकेट टीम की हार के बाद कभी हिज्र नहीं काटा है, जीवन की खुशियों को मैदान में नहीं तलाशा है या सचिन व विराट के विकेट पर आँखों से रक्त नहीं बहाया है। तो आप इस निबंध को यहीं पढ़ना बंद कर सकते है। क्योंकि इस निबंध का एक-एक शब्द भारतीय क्रिकेट को सलामी है। इसका एक-एक वाक्य क्रिकेट और मेरी (आम भारतीय क्रिकेट फैन) की अनंत लव स्टोरी का सबूत है, जो अपने अनोखे अंदाज में अमूल्य और अनंत है।

क्रिकेट धर्म क्यों है ?

“धर्म आम आदमी का अफीम है” यह बात कार्ल मार्क्स ने कही थी। और भारत में यह अफीम 20-20, वन डे और 5 दिन तक लंबे टिकने वाले फ्लेवर्स में मिलता है। आप सोचिए उस देश की एकजुटता कितनी मज़बूत होगी, जहाँ पर हिन्दू परिवार का बच्चा मोहम्मद शमी की हैट्रिक के लिए प्रार्थना करता है। और एक मुस्लिम परिवार का बच्चा रोहित शर्मा के 200+ रन देख अल्ला का शुक्रिया अदा करता है।


भारत एक ऐसा सेक्युलर देश है, जिसमें सो कोल्ड धर्म निर्पेश लोग कब क्रिकेट के अनुयायी बन जातें है, उन्हें भी पता नहीं चलता। लेकिन एक सवाल बार-बार हमारे सामने आकर खड़ा होता है कि धर्म का जीवन में अर्थ क्या है? सनातन संस्कृति के अनुसार इस विषय को देखें, तो धर्म कई प्रकार के मिलते है। अनेकों महात्माओं ने धर्म को अपने-अपने तरह से परिभाषित किया है। लेकिन शास्त्रों में धर्म मूलतः दो प्रकार के मिलते है।
1 – निजी धर्म
2 – सामाजिक धर्म

क्रिकेट हमें इन दोनों प्रकार के धर्मो के सामंजस्य को और इनकी सार्थकता को सिखाता व समझाता है। हमें क्रिकेट से सिख मिलती है कि मेरा निजी धर्म ही सामाजिक धर्म हैं। और सामाजिक धर्म ही मेरा निजी धर्म है।


उदाहरण – जब आप अपने निजी धर्म को निभाते हुए खुद का विकास करते हैं, जिम्मेदारियां निभाते है, जीवन में वृद्धि करते है। तब आपके साथ आपका समाज भी प्रग्रति करता है। ऐसे ही जब विराट, रोहित या कोई और खिलाड़ी रन बनाता है या विकेट लेता है, तो उसकी टीम को भी रन और विकेट मिलते हैं।

दुनिया की सबसे बड़ी पाठशाला है क्रिकेट –

अगर आपसे कोई कहता है कि
*क्या दिन भर क्रिकेट खेलता या देखता रहता है?
*दिन भर क्रिकेट में लगा रहेगा तो लाइफ में पीछे रह जाएगा।
*क्रिकेट में घुसे रहने से क्या होगा, यह जिंदगी में कुछ काम नहीं आएगा।

तो ऐसी तर्क हीन बातों के जवाब के लिए मैंने उन बातों की एक छोटी सी लिस्ट तैयार की है जो मैंने क्रिकेट से सीखी हैं।


1- अंत भला तो सब भला :
जैसे क्रिकेट मैच के जितने पर सफेद कपड़ों की तरह धुला हुआ गेंदबाज भी सब कुछ भूल खुशी मनाता है। वैसी ही हमें अंत में कार्य पूरा होने पर पिछला सब कुछ भूलकर खुशी मनानी चाहिए।


2 – कुत्ते भोकते रहते है, हाथी अपना काम करता रहता है :
जैसे अनंत स्लेजिंग झेलने के बाद भी महान राहुल द्रविड़ अपने गेम पर अड़ीग रहते थे। वैसे ही हमें भी केवल अपने काम पर ध्यान लगाना चाहिए।


3 – आग लगे सारी बस्ती में अपन तो अपनी मस्ती में :
यह हमें भारतीय क्रिकेट के पहले रॉकस्टार वीरेंद्र सहवाग की बैटिंग से सीखने को मिलता है। चाहें वीरू पाजी टेस्ट खेलें, वनडे खेलें या 20-20 उनके बल्ले से केवल अपनी मस्ती यानी चौके छक्के ही निकलते है। वैसे ही हमें भी अपनी ताकत पहचान कर विपदाओं पर जीत हासिल करनी चाहिए।


4 – अंधेरी नगरी चौपट राजा :
भारतेंदु हरिश्चंद्र जी की यह पंक्तियां जीवन में तब समझ आती है, जब बैट्समैन आउट ना हो और एंपायर उसे चलता कर दे। तब समझ में आता है कि पावर कितनी महत्वपूर्ण चीज है। नागरिकों के इस बात के सीखने पर, देश का लोकतंत्र और भी ज्यादा मजबूत होता जाता है।


5 – एक मछली सारे पानी को गंदा करती है :
जैसे एक बेकार ओवर पूरी टीम की मेहनत पर पानी फेर देता है। वैसे ही एक बेकार संगत या एक बुरी आदत व्यक्ति का पूरा जीवन बर्बाद कर देती है।

निष्कर्ष –

वैसे तो मैं पूरे दिन क्रिकेट पर बात कर सकता हूं। लेकिन अंत इन कुछ चुनिंदा बातों से करना चाहता हूं। जब भी आपको अवसरों के द्वार बंद मिले, आशा की किरण दिखाई न दे या हिम्मत बिखर कर मिट्टी हो जाएं, तो आप बेझिझक क्रिकेट का दामन थाम सकते है। क्योंकि जहां ग्रंथों का ज्ञान समाप्त होता है, वहां क्रिकेट का खेल शुरू होता हैं।


जैसे जब भी नउम्मीदी छाए तो लॉर्ड्स में खेलें गए नेटवेस्ट सीरिया का फाइनल देखलें। यह देख आप भी उत्साह में झूमते हुए सौरव गांगुली बन जाएंगे। जब भी क्रोध या कुछ समझ न आएं, तो महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी का कोई सा भी रेंडम वीडियो यूट्यूब पर देखले, जीवन में धैर्य का मूल्य समझ आ जाएगा। और यदि आप पूरी तरह से जीवन में हार चुके है, तो गाबा टेस्ट 2021 या ईडन गार्डन 2001 की हाइलाइट्स देख लें। दोस्त जब हम यह टेस्ट यमराज के मूंह से निकाल सकते हैं। तो यकीन मानिये दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है। हां, यह भी हमें क्रिकेट ही सिखाता है। थैंक्यू क्रिकेट।

(नोट – यह लेखक के अपने निजी विचार हैं, किसी भी अजीब या बुरी लगी बात को फ्री हिट समझ कर माफ कर दीजिए।)


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