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निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने अधिकारियों को इमली बाजार से राजवाड़ा तक हर मकान की सर्वे की रिपोर्ट तैयार करने के दिए निर्देश

इंदौर। शहर में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत तमाम निर्माण कार्य किए जा रहे हंै। कहीं सड़क निर्माण कार्य हो रहा है, तो कहीं ओवरब्रिज को लेकर काम किया जा रहा हैं। शहर के सबसे व्यस्ततम और पुराने क्षेत्रों में भी कई तरह के काम किए जा रहे हैं। नगर निगम कमिश्नर प्रतिदिन अधिकारियों से चर्चा कर मॉनिटरिंग कर रही हैं।

इसी के अंतर्गत नगर निगम की ओर से स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत इमली बाजार चौराहा से राजवाड़ा तक जो सड़क का निर्माण किया जाना है उस स्थान पर बने मकानों की सूची तैयार की जा रही हैं। इस सूची के साथ यह भी लिखा जाएगा कि संबंधित भवन का कितना हिस्सा तोड़ना पड़ेगा। यह निर्देश शुक्रवार सुबह नगर निगम के वायरलेस सेट पर आयुक्त प्रतिभा पाल के द्वारा दिया गया। उन्होंने सेट पर ही स्मार्ट सिटी कंपनी की ओर से इस प्रोजेक्ट को संभालने के लिए जिन अधिकारियों को जिम्मेदारी दी हैं उन्हें कॉल किया। अधिकारियोें से कहा गया कि इमली बाजार से राजवाड़ा तक के पूरे क्षेत्र के एक-एक मकान के सर्वे की रिपोर्ट तैयार करें। इस रिपोर्ट में यह स्पष्ट हो कि मकान का क्षेत्रफल कितना है उस पर निर्माण कितना है, उसका स्वामी कौन है और इस मकान का कितना हिस्सा सड़क केचौड़ीकरण के कार्य के लिए तोड़फोेड़ की श्रेणी मेें आ रहा है, वह विधिवत अनुमति प्राप्त कर बनाया गया है या बिना अनुमति के किया गया निर्माण है। यह निर्देश देने के साथ ही यह भी कहा कि सर्वे रिपोर्ट तैयार करें ताकि इस आधार पर कार्रवाई के लिए समयबद्ध कार्यक्रम तैयार किया जा सके।

लगा चुके हैं तोड़फोड़ के निशान

इससे पहले निगम की टीम ने इमली बाजार चौराहा से राजवाड़ा तक बनाई जाने वाली सड़क के लिए तोड़फोड़ के निशान लगाने का काम किया। सड़क के आधे क्षेत्र में सेंट्रल लाइन डालने का काम कर लिया गया हैं। क्षेत्र में जब निगम की टीम निाान लगान का काम कर रही थी तो एक मकान पर निशान लगाने के लिए टीम पहुंची तो वहां पर एक पोस्टर चिपका हुआ था, जिस पर लिखा था दुकान नंबर 4 बेचना है। नीचे संबंधित व्यक्ति का फोन नंबर भी लिखा हुआ था। तोड़फोड़ होने से पहले संबंधित व्यक्ति के द्वारा अपनी दुकान बचने की कोशिश की गई थी ताकि दुकान पर तोड़फोड़ का जो असर पड़े उससे वर्तमान मालिक को कोई फर्क नहीं पड़े।

खुदाई का काम हुआ शुरू

निगम की ओर से मरीमाता चौराहे पर सड़क केनिर्माण के लिए खुदाई का काम शुरू कर दिया गया हैं। निगम की ओर से सड़क की खुदाई करते हुए उसमें सीवरेज व वाटर की नई लाइन डालने के काम कोे अंजाम देने की दिशा में पहल की गई है। इस काम का शुरू करन से पहले ही निगम के द्वारा इस सड़क के चौड़ीकरण में बाधक निर्माण के स्वामियों को नोटिस दिया जा चुका हैं। उन्हें नोटिस देकर निगम के द्वारा यह बताया गया है कि उनके निर्माण में कितना हिस्सा सड़क के चौड़ीकरण मेें आ रहा है। इस नोटिस के माध्यम से उन्हेें अपने हिस्से को हटाने कोे कहा गया हैं। अभी तक निगम की ओर से कोेई डेडलाइन तय नहीं की गई थी, लेकिन जब खुदाई का काम शुरू हुआ ता उसके बाद में आगे के कामों क लिए भी निगम सक्रिय हो गया है। निगम की गाड़ियों के द्वारा अब यह अनाउंसमेंट किया गया कि इस सड़क के चौड़ीकरण में बाधक निर्माणों को रविवार तक भवन स्वामी हटा लें। यदि रविवार तक अपने निर्माण को नहीं हटाया तो सोमवार को निगम की गैंग के द्वारा इन निर्माणों को हटाने की कार्रवाई की जाएगी।

10 फीट चौड़े मकानों की नहीं होती जांच

सूत्रों की माने तो शहर में भी 10 फीट चौड़े, 20-30 फीट लंबे, 5-6 मंजिला मकान की जांच इंदौर नगर निगम नहीं करता। कई बड़ी मल्टियों में भी आग बुझाने के संसाधन तक पर्याप्त नहीं है। अधिकांश मकानों में पीछे से कोई रास्ता नहीं है जिससे कोई आगजनी की घटना हो जाए तो लोग जान बचाकर भाग सके। निगम के पास ऐसे मकानों का रिकॉर्ड भी नहीं है। शहर में 60 से 70 फीसदी मकान, बिल्डिंगें अवैध है और सुरक्षा के लिहाज से भी सही नहीं बने है। इनमें से कुछ बातें तो तब नजर आई जब नगर निगम की ओर से स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत सड़क निर्माण के कार्य में बाधक बन रहे मकानों की सूची बनाई जाने लगी।

हाल ही में शहर में विजय नगर क्षेत्र की अवैध स्वर्णबाग कॉलोनी के एक मकान में गाड़ी में आग लगाने से आग लग गई थी और 7 लोग जल गए थे। नगर निगम ने इस घटना में जांच की बात कही लेकिन अब तक कोई जांच शुरू नहीं हुई। वहीं शहर में 60 से 70 फीसदी मकान, बिल्डिंग, दुकान, शो-रूम अवैध रूप से बन गए है या इनमें आग बुझाने या जान बचाकर भागने के लिए कोई संसाधन, रास्ता नहीं है। शहर के कई इलाकों में इस तरह की व्यवसायिक बिल्डिंगे तनी खड़ी हैं। रहवासी बिल्डिंगों की हालत भी ठीक नहीं है। 5 से 10 मंजिला बिल्डिंगों में कई किरायेदार रहते है और दफ्तर भी है। बिल्डिंगों में 5-7 फीट की गली होती है और जब भी कोई त्यौहार या ऐसा मौका आता है जब खरीदी अधिक होती है तो बाजारों में भीड़ बढ़ती है और पूरी बिल्डिंग में सैकड़ों लोग एक साथ एक समय में मौजूद होते है। निगम अधिकारी ऐसी बिल्डिंगों, मकानों में जांच भी नहीं करते है न ही गलत पाए जाने पर कोई ठोस कार्रवाई होती है।

6 लाख से अधिक मकान-इमारतें शहर में

सूत्रों की माने तो नगर निगम के रिकॉर्ड में 6 लाख से अधिक संपत्तियां शहर में हैं। हालांकि निगम के सभी 19 झोन में अधिकारी इन 6 लाख मकान, बिल्डिंगों में पूरी तरह से कभी जांच नहीं कर पाए। जबकि निगम आधे से अधिक संपत्तियों से संपत्तिकर वसूलता है। विष्णु खरे, मुख्य नगर निवेशक, नगर निगम इंदौर की माने तो नक्शे के अनुसार ही निर्माण होना चाहिए। यदि कही अवैध निर्माण होता है तो हम कार्रवाई करते है।

यहां सबसे ज्यादा भयावह स्थिति

शहर में राजबाड़ा, मारोठिया, जेल रोड, आड़ा बाजार, मच्छी बाजार, बम्बई बाजार, छत्रीपुरा, सराफा, सीतलामाता बाजार, इतवरिया बाजार, सदर बाजार, एमजी रोड, जवाहर मार्ग, मल्हारगंज, सियागंज सहित कई ऐसे बाजार और रहवासी क्षेत्र है जहां आगजनी की घटना यदि हो जाए तो फायर ब्रिगेड की गाड़ी भी अंदर नहीं घुस सकती। कई बाजारों, कॉलोनियों में सड़कों की चौड़ाई 5-7 फीट ही है।

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