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Coronavirus: रिसर्च में खुलासा, दो गज की दूरी और मास्क है जरूरी, नहीं तो बेअसर हो जाएगी वैक्सीन

Coronavirus: कोरोना वायरस देश-दुनिया में भारी तबाही मचाने के बाद अब धीरे-धीरे विदाई ले रहा है, लेकिन इसके बावजूद विशेषज्ञ अभी भी इसके पलटवार को लेकर आशंकित है और हरसंभव ऐहतियात बरतने की सलाह दे रहे हैं।

टीकाकरण पर हुआ रिसर्च

विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वायरस के फैलने की सबसे बड़ी वजह लापरवाही रही है। सामाजिक दूरी को लेकर लापरवाही, मास्क ना लगाने और डेल्टा वेरिएंट के घातक हमले की वजह से कोरोना वैक्सीन की प्रभावशीलता में कमी आई है। न्यूयॉर्क के स्वास्थ्य विभाग ने एक रिसर्च के बाद यह दावा किया है। 2021 की गर्मियों के दौरान न्यूयॉर्क के स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना के डेल्टा मामले बढ़ने के दौरान वैक्सीन की प्रभावशीलता पर रिसर्च किया। इस दौरान टीकाकरण, जांच और अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों का विश्लेषण किया गया।

88 लाख वयस्कों प किया रिसर्च

रिसर्च में यह पाया गया कि फाइजर-बायोएनटेक, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन के टीकों की प्रभावशीलता में 25 फीसदी तक की कमी आई है। हालांकि रिसर्च में इस बात का भी दावा किया गया कि प्रभावशीलता में कमी के बावजूद कोरोना टीके अस्पताल में भर्ती होने से रोकने में काफी असरकारी साबित हुए हैं। वैक्सीनेशन 18 से 64 वर्ष की आयु के संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती होने से रोकने में 90 फीसदी प्रभावी रहा। इस रिसर्च में न्यूयॉर्क के लगभग 88 लाख वयस्कों को शामिल किया गया। इनमें से करीब दो-तिहाई का वैक्सीनेशन हो चुका था। कोरोना के डेल्टा वेरिएंट के केस बढ़ने पर संक्रमण के खिलाफ टीके की प्रभावशीलता में गिरावट देखी गई।

बुजुर्गों को बूस्टर डोज की सिफारिश

रिसर्च में यह भी कहा गया कि 65 साल से अधिक आयु वर्ग वाले बुजुर्गों में अस्पताल में भर्ती होने के खिलाफ टीकों की सुरक्षा में गिरावट देखी गई। इसलिए बुजुर्गों को बूस्टर डोज की सिफारिश की गई है। बूस्टर डोज से ही बुजुर्गों में कोरोना के खिलाफ सुरक्षा कवच तैयार किया जा सकता है। गौरतलब है कि अमेरिका की सीडीसी और एफडीए ने हाल ही में फाइजर के बूस्टर शॉट को बुजुर्गों को लगाने की सिफारिश की है।

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