Coronavirus: कोरोना महामारी की दूसरी लहर के विकराल स्वरूप धारण करने की वजह से लोगों को इस हद तक असहाय कर दिया है कि वो बीमारी को समझते इससे पहले मौत उनको अपने आगोश में ले रही है। शहरों से ज्यादा हालत गांवों के हैं, जहां पर लोग टेस्ट और इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे हैं। कुछ ऐसा ही दिल दहला देने वाला मंजर उत्तर प्रदेश में गोरखपुर शहर के एक इलाके में देखने को मिला, जहां पर पीपल के पेड़ कोरोना की तबाही की गवाही दे रहे है।
पीपल के पेड़ पर मटकियों का लगा ढेर
गोरखपुर के हड़हवा फाटक रोड से कृष्णानगर के बीच पीपल का पेड़ कभी लोगों के लिए वार्तालाप और फूर्सत के कुछ क्षण बिताने की माकूल जगह था, लेकिन अब यहां पर सन्नाटा पसरा हुआ है और कई मटकियां इसके ऊपर बंधी हुई है। ये मटकियां उन लोगों की है, जो इस महामारी की वजह से काल के गाल में समा गए हैं और उनकी आत्मा मोक्ष का इंतजार कर रही है। आमतौर पर इन पेड़ों पर एक या दो मटकी ही लटकी पाई जाती है. लेकिन, महामारी के बीच ऑक्सीजन की कमी और सांस फूलने के बाद अस्पतालों से लेकर सड़क तक पर लोगों की मौत हुई है। इससे पेड़ पर मटकियों की तादात ज्यादा हो गई है।
पीपल को माना गया है देववृक्ष
परिजनों ने मृतकों का सनातन संस्कृति से अंतिम संस्कार तो कर दिया, लेकिन उसके बाद के क्रियाकर्म की रस्म को पूरा कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि कोरोना महामा्री से हो रही मौतों के कारण शहर में अधिकतर पीपल के पेड़ों पर मटकियां टंगी हुई नजर आ रही हैं. पहले 10 से 15 दिन में एकाध मटकियां ही दिखाई देती थी, लेकिन, कोरोना की वजह से पीपल के पेड़ों पर ज्यादा मटकियां दिखाई दे रही है। मान्यता के अनुसार रोजाना पीपल के पेड़ पर मटकी टांगने और उसमें नीचे की ओर एक सुराख कर पानी भर दिया जाता है। मान्यता है कि पीपल के पेड़ पर देवता का वास होता है इसलिए मृतात्मा की शांति के लिए मटकी टांगी जाती है।
गोरखपुर में कई परिवार ऐसे हैं, जिन्होंने अपने तीन से चार परिजनों को इस महामारी की वजह से खो दिया है। उत्तर प्रदेश में ग्रामीण इलाकों के हालत बहुत ज्यादा खराब है और लोग वहां पर इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे हैं। अंतिम संस्कार के लिए जगह नहीं मिलने और गरीबी के चलते लोग कोरोना संक्रमित शवों को नदियों में बहा रहे हैं।