थांदला। कोरोना महामारी के मुश्किल समय में भी लोग घर की सम्पति को लेकर विवाद करने से बाज नहीं आ रहे है। इस आपदा में भी लोग अपनों से ज्यादा उनकी वसीयत पर नजर गड़ाए बैठे है।
ऐसा ही एक मामला आया थांदला जिले से जहां अपनी बुआ को कोरोना होने पर उनका भतीजा उनकी देख भाल करने लगा और मुश्किल घडी में उनका ख्याल रखा लेकिन बुआ के कोरोना संक्रमित से उनका भतीजा भी कुछ दिनों पश्चात कोरोना संक्रमित हो गया। जिसे उपचार के लिए गुजरात के अस्पताल में भर्ती कराया गया । लेकिन वही उनकी बुआ के द्वारा कुछ लोगों ने जबरन उनकी वसीयत दान करा दी ।
मामला थांदला नगर के वार्ड नंबर 09 लक्ष्मीबाई मार्ग का है। भतीजे दिव्य कुमार ने बताया कि उनकी बुआ शांताबाई पिता रामाजी चौहान जो कि निसंतान हो कर अपना जीवन व्यापन कर रही थी वही भतीजे ने बताया कि पिछले 7 सालों से हम उनकी देखरेख कर रहे थे और पिछले 1 महीने से मैं उनकी सेवा कर रहा था। भुआ के कहने पर मैं उनको अपने घर लाया था और उनकी सेवा निस्वार्थ भाव से कर रहे थे । भतीजे ने बताया कि बुआ अविवाहित थी उनकी कोई संतान नही थी बुआ की सेवा कार्य मेरे द्वारा किया जा रहा था। इसी बीच पिछले माह मेरी बुआ कोरोना संक्रमित हो जाने से मैने उपचार करवाया था उनके साथ रहने से में भी संक्रमित हुवा इस दौरान जिले में बेड ना मिलने से मेरा ईलाज गुजरात के देवगढ़ बारिया में चला में स्वस्थ होकर घर आया तो पता चला कि थांदल में राजू धानक व उनके साथीगण द्वारा मेरी बुआ से जबरदस्ती वसीयत नाम लिखवा कर दान करवा दी एवं उन्हें गुमराह किया कि मानसिक बीमार है व कोविड के चलते नहीं बच सकते है ऐसा कह कर बल पूर्वक वसीयत बनवाकर अंगूठा करवा लिया। भतीजे द्वारा प्रशासन को वीडियो दी गई है ,जिसमे राजू धानक उन्हें बोलता नजर आ रहा है कि समाज का पैसा है और जबरदस्ती बुआ से पैसा दान करवा दिया। भतीजे ने प्रशासन से मदद मांगी।
दिव्य कुमार ने एक जानकारी में बताया कि राजू धानक व उसके साथीगण के द्वारा मेरी बुआ से जबरन वसीयत नामा लिखवा लिया। जबकि वो इस पक्ष में नही थी जिसके सारे वीडियों व जानकारी दिखा दी गई है। इसी के चलते हमारे द्वारा समाज के अध्यक्ष को एडवोकेट द्वारा नोटिस भेज दिये गये है । भतीजे ने थाना थांदला में भी एक आवेदन इस संदर्भ में दिया था कि समाज के कुछ व्यक्ति द्वारा मुझे बेवजह प्रताड़ित किया जा कर धमकी दी जा रही है। बैंक शाखा थांदला में भी नोटिस पहुचा दिये गये है बाईट दिनों मेरी बुआ की मृत्यु हो गई थी। स्मरण रहे कि समाज के चंद व्यक्ति द्वारा राजनीति के सहारे प्रशासन को गुमराह कर अनैतिक कार्य पर उतारू है जो कि न्याय संगत ना हो कर गलत है ।