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दलित छात्र की हत्या के बाद कांग्रेस विधायक का इस्तीफा, कहा- दलितों के अधिकारों की रक्षा करने वाला कोई नहीं

राजस्थान के जालोर में टीचर की पिटाई से दलित बच्चे की मौत के बाद बारां-अटरू के कांग्रेस विधायक पानाचंद मेघवाल ने इस्तीफा दे दिया है। मेघवाल ने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और विधानसभा स्पीकर को भेजा है। इसमें उन्होंने टीचर की पिटाई से दलित छात्र की मौत से आहत होने को इस्तीफे की वजह बताई है।

मेघवाल ने इस्तीफा देने के बाद कहा- मैंने मुख्यमंत्री जी से पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपए की आर्थिक मदद और उसके परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की थी।

आजादी के 75 साल बाद भी दलितों पर अत्याचार

मेघवाल ने इस्तीफे में लिखा- भारत अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे कर रहा है। देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, लेकिन आजादी के 75 साल बाद भी प्रदेश में दलित और वंचित वर्ग पर लगातार हो रहे अत्याचारों से मेरा मन काफी आहत है। मेरा समाज आज जिस प्रकार की यातनाएं झेल रहा है, उसका दर्द शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। मेघवाल ने कहा- प्रदेश में दलित और वंचितों को मटकी से पानी पीने के नाम पर तो कही घोड़ी पर चढ़ने और मूंछ रखने पर घोर यातनाएं देकर मौत के घाट उतारा जा रहा है। जांच के नाम पर फाइलों को इधर से उधर घुमाकर न्यायिक प्रक्रिया को अटकाया जा रहा है। पिछले कुछ सालों से दलितों पर अत्याचार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।

ऐसा प्रतीत हो रहा कि बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर ने संविधान में दलितों और वंचितों के लिए जिस समानता के अधिकार का प्रावधान किया था, उसकी रक्षा करने वाला कोई नहीं है। दलितों पर अत्याचार के ज्यादातर मामलों में एफआर (फाइनल रिपोर्ट) लगा दी जाती है। कई बार ऐसे मामलों को मैंने विधानसभा में उठाया, उसके बावजूद पुलिस प्रशासन हरकत में नहीं आया। जब हम हमारे समाज के अधिकारों की रक्षा करने और उन्हें न्याय दिलवाने में नाकाम होने लगे तो हमें पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है। मेरी अंतरआत्मा की आवाज पर विधायक पद से इस्तीफा देता हूं। विधायक पद से मेरा इस्तीफा स्वीकार करें ताकि मैं बिना पद के ही समाज के वंचित और शोषित वर्ग की सेवा कर सकूं।

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