नई दिल्ली। राजस्थान कांग्रेस में मची ऊहापोह के बीच गुरुवार को दिल्ली में अच्छी-खासी हलचल मची रही। इसी कड़ी में सचिन पायलट और सोनिया गांधी के बीच 10 जनपथ पर मुलाकात हुई। सचिन पायलट ने कहा कि उन्होंने हाईकमान के सामने अपनी बात रखी है। साथ ही यह भी कहा कि उनका फोकस राजस्थान ही रहेगा। उन्होंने 2023 के चुनाव में कड़ी मेहनत करके जीत हासिल करने की भी बात कही। इससे अनुमान लगाया जा रहा है सचिन पायलट को टेकआॅफ का संकेत मिल चुका है।
इससे पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी सोनिया से मुलाकात की थी। हालांकि मुलाकात के बाद जिस तरह से अशोक गहलोत ने बयान जारी किया, उससे साफ था कि बाजी उनके हाथ से जा चुकी है। कांग्रेस के अध्यक्ष पद की रेस से हटने का ऐलान तो खुद गहलोत ने कर दिया। उसके बाद पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल के इस बयान ने कि सोनिया गांधी अगले 48 घंटे में राजस्थान के सीएम फेस पर फैसला लेंगी, तस्वीर को काफी हद तक स्पष्ट कर दिया है।
सचिन पायलट ने कहा कि राजस्थान के संदर्भ में पूरा फैसला सोनिया गांधी ही लेंगी। उन्होंने कहा कि मुझे इस बात का पूरा विश्वास है कि अगले 12-13 महीनों में हम अपनी कड़ी मेहनत के दम पर एक बार फिर से राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनाने में कामयाब होंगे। फिलहाल हमारा ध्यान राजस्थान में 2023 का चुनाव जीतना है। इसके लिए हमें एक साथ मिलकर कड़ी मेहनत करनी है।
10 जनपथ से मायूस बाहर निकले गहलोत
सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद अशोक गहलोत ने साफ कर दिया कि अब वे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ेंगे। 10 जनपथ से बाहर निकलने के बाद गहलोत काफी मायूस दिखे। उन्होंने राजस्थान में हुए घटनाक्रम पर करीब डेढ़ घंटे तक सोनिया के सामने सफाई पेश की।
मुलाकात के बाद बाहर निकलने पर गहलोत ने मीडिया से बातचीत की। उन्होंने कहा कि मैंने हमेशा कांग्रेस के वफादार सिपाही के रूप में काम किया है। विधायक दल की बैठक के दिन हुई घटना ने सबको हिलाकर रख दिया। ऐसा लगा जैसे कि मैं मुख्यमंत्री बना रहना चाहता हूं, इसलिए मैंने उनसे माफी मांगी है।
सीएम पर एक-दो दिन में फैसला
दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि पर्यवेक्षक एक बार फिर जयपुर जाएंगे। विधायक दल की बैठक बुलाई जाएगी। इसके बाद तय किया जाएगा कि अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बने रहेंगे या नहीं। इससे साफ है कि एक-दो दिन में मुख्यमंत्री को लेकर फैसला हो सकता है। सूत्रों का कहना है कि 1 अक्टूबर को कांग्रेस पर्यवेक्षक जयपुर आ सकते हैं। साथ ही इसी दिन विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री को लेकर प्रस्ताव पारित किया जा सकता है। हालांकि, कांग्रेस आलाकमान के सामने समस्या अब भी यही है कि गहलोत गुट के विधायक अपनी बात पर अड़े हुए है। उनका कहना है कि सीएम बगावत के समय साथ देने वाले 102 विधायकों में से ही बनना चाहिए।
गहलोत को लेकर बचे ये चार विकल्प
- गहलोत इस्तीफा देकर सचिन पायलट का समर्थन करें
- संगठन में जिम्मेदारी निभा सकते हैं गहलोत
- गहलोत को सीएम बने रहने दिया जाए
- किसी तीसरे को सीएम बनाया जाए
कांग्रेस की नेताओं को सख्त सलाह
कांग्रेस पार्टी ने सभी नेताओं को सलाह दी है कि वे किसी भी नेताओं के खिलाफ या पार्टी के आंतरिक मामलों के बारे में सार्वजनिक बयान न दें। अगर इस एडवाइजरी का कोई उल्लंघन किया जाता है तो सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने एक परामर्श जारी कर कहा है कि यह बात संज्ञान में आई है कि कुछ नेता पार्टी के आंतरिक मामलों पर और दूसरे नेताओं के खिलाफ बयान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी के नेता अन्य नेताओं के खिलाफ और पार्टी के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी नहीं करें।
मुझे जो दुख है वो मैं ही जान सकता हूं
जो घटना दो दिन पहले हुई उसने हम सबको हिलाकर रख दिया। मुझे जो दुख है वो मैं ही जान सकता हूं। मैंने सोनिया जी से माफी मांगी है। मैंने तय किया है कि इस माहौल के अंदर अब चुनाव नहीं लड़ूंगा। यह मेरा फैसला है।
-अशोक गहलोत, मुख्यमंत्री राजस्थान