विश्वाससिंह पंवार/बदनावर। जिला एवं सत्र न्यायाधीश रेखा चंद्रवंशी, जज रितुश्री गुप्ता, मानव अधिकार एक्टिविस्ट एवं विधिक सेवा समिति सदस्य जयेश राजपुरोहित ने उप जेल में निरीक्षण कर तंबाकू निषेध दिवस पर विधिक साक्षरता शिविर आयोजित किया। उप जेल अधीक्षक कमल पलासिया भी उपस्थित थे।
शिविर के दौरान बंदियों की समस्याएं जानी एवं एडीजे चंद्रवंशी ने बंदियों को बताया कि गंभीर अपराधों के मामले में अशमनीय धाराओं में दर्ज अपराध में बाहर समझौता कर लेने से अपराध खत्म नहीं हो जाता। किए गए अपराध के दंड का प्रावधान यथावत रहता है।
आपने कहा कि जेल में प्रतिबंधों से व्यसनों की मुक्ति का अवसर मिला है। जेल में रहकर अपनी इच्छा शक्ति को मजबूत बनाएं एवं बाहर जो तंबाकू व अन्य नशा करते हैं उससे दूरी बना ले। यह बात एडीजे चंद्रवंशी ने बंदियों को तंबाकू से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में बताते हुए कही।
जज रितुश्री गुप्ता ने कहा कि विचाराधीन बंदियों के मामले में मजिस्ट्रियल कोर्ट में चालान प्रस्तुत करने की सीमा 2 माह एवं सेशन कोर्ट में चालान प्रस्तुत किए जाने की सीमा 3 माह निर्धारित है। इस अवधि में चालान प्रस्तुत नहीं होता है तो जेल में बंदी को जमानत हेतु आवेदन प्रस्तुत करने का अधिकार है।
जयेश राजपुरोहित ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस वर्ष तंबाकू निषेध दिवस की थीम हमें भोजन चाहिए तंबाकू नहीं। जिससे तंबाकू उत्पादक किसानों को तंबाकू के उत्पादन की बजाए खाद्यान्न उत्पादन करने हेतु प्रेरित किया जाएगा। बंदियों को इसके उत्पादों के सेवन से होने वाली बीमारियों के बारे में बताते हुए कहा कि इससे ब्लड प्रेशर, त्वचा संबंधी रोग, मुंह में छाले, पेट में अल्सर व फेफड़ों से जुड़ी बीमारियां व कैंसर हो जाता है।
इनके सेवन से शारीरिक व आर्थिक हानि होती है। कोरोना काल में धूम्रपान करने वाले अधिकांश व्यक्ति कोरोना की जंग हार गए थे। तंबाकू के किसी भी उत्पाद या विज्ञापन पर वैधानिक चेतावनी लिखना जरूरी है कि तंबाकू का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। मुंह व जबड़े के कैंसर का चित्र भी प्रदर्शित होता है। फिर भी हम तंबाकू का सेवन कर स्वयं व दूसरों का जीवन खतरे में डालते हैं।
इस दौरान बंदियों की समस्याएं भी जानी। वकील की उपलब्धता, भोजन, साफ सफाई, बीमारी, मुलाकात संबंधी जानकारी ली। इस दौरान सभी 105 बंदी व जेल स्टाफ, नायब नाजिर शांतिलाल कलमे आदि मौजूद थे।