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संघ कार्यकर्ताओं की सराहनीय पहल, लावारिस अस्थियों को ऐसे दिलवाया मोक्ष

होशंगाबाद। कोरोना संक्रमण के भयावह दौर में समाज में हर तरह के रूप देखने को मिले हैं। जानलेवा महामारी से बचाव वाले इंजेक्शनों और दवाओं की कालाबाजारी करने वाले चेहरे उजागर हुए हैं वहीं कोरोना से मौत के बाद अपनों ने ही अपनों के शवों से किनारा किया है, लेकिन इस भयानक दौर में भी दूसरी ओर आपदा के वक्त मदद के लिए हाथ बढ़ाने वाले लोगों की संख्या भी कम नहीं रही है ।

होशंगाबाद के नर्मदा घाट पर ऐसा दृश्य देखने को मिला जो इस महमारी के दौर में पराए और अपनों की परख बता गए । कोरोना संक्रमितों की ऐसी हालत हो गई है की जीते जी ना उन्हें दवाइयां मिल पा रही है , ना ही संक्रमितों की मृत्यु के बाद उनका श्मशानों में दाह संस्कार भी विधि विधान से नहीं किया जा रहा है। जिसको देखते हुए (आर एस एस ) ने उन लोगों के अंतिम संस्कार का जिम्मा उठा लिया है। आर एस एस द्वारा मृत लोगों की अस्थियों के विसर्जन कर्म की विधिवत पूजा-अर्चना कर रही है। अस्थियों को पूरे सम्मान के साथ नर्मदा में प्रवाहित करने की तैयारी में जुटे ये लोग मृत लोगों के नाते-रिश्तेदार नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता हैं। भोपाल के विश्राम घाटों से उन दो सौ मृतकों की अस्थियां विसर्जन के लिए लेकर ये पहुंचे हैं। जिन अस्थियों को लेने महीनों से कोई भी नहीं आया।

आरएसएस ही नहीं आपदा के दौर में अनेक संगठन सेवा के तत्पर

प्रान्त संघचालक अशोक पांडेय ने बताया कि आरएसएस कार्यकर्ताओं ने अस्थि विसर्जन के अलावा कोरोना संक्रमितों को अस्पतालों में बिस्तर दिलाने, जीवन रक्षक औषधियों और जान बचाने वाले इंजेक्शन उपलब्ध कराने में मदद का बीड़ा भी उठाया हुआ है। रक्तदान और प्लाज्मा डोनेट भी ये कार्यकर्ता करा रहे हैं। कोरोना से बचाव के वैक्सीनेशन के लिए सुव्यवस्थित नियमित कैम्पों का आयोजन ये कार्यकर्ता भोपाल में निरंतर कर रहे हैं। आरएसएस ही नहीं आपदा के दौर में अनेक संगठन सेवा के तत्पर रहने वाले लोग बडी संख्या में आगे आकर पीड़ित मानवता की ऐसी ही सेवा में जुटे हुए हैं।

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