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सीएमआईई का दावा- बेरोजगारी की दर बढ़कर हुई 7.80 प्रतिशत, हर छठा ग्रेजुएट युवा बेरोजगार

नई दिल्ली। देश में बेरोजगारी की दर कम होने के बजाय बढ़ रही है। केंद्र और राज्य सरकारें भलेही यह दावा करती हो कि कारोड़ों युवाओं को नए रोजगार के साथ जोड़ा गया है, लेकिन सीएमआईई की रिपोर्ट ने सरकार के आंकड़ों की पोल खोल दी है।

देश में बेरोजगारी दर को लेकर सीएमआईई ने बड़ा दावा किया है। सीएमआईई के आंकड़ों के मुताबिक, देश में बेरोजगारी दर जून में बढ़कर 7.80 प्रतिशत पर पहुंच गई है। सीएमआईई के प्रबंध निदेशक ने बताया कि पिछले महीने कृषि क्षेत्र में 1.3 करोड़ लोग बेरोजगार हो गए। देश में बेरोजगारी बढ़ने का एक कारण ये भी है। आर्थिक शोध संस्थान सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी (सीएमआईई) के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में भी यही हाल है। भारत के ग्रामीण इलाकों में मई माह में बेरोजगारी दर 7.30 प्रतिशत थी, जो कि जून में बढ़कर 8.03 प्रतिशत पर पहुंच गयी। ग्रामीण इलाकों की अपेक्षा शहरी क्षेत्रों में स्थिति कुछ बेहतर रही है। यहां जून में बेरोजगारी दर 7.3 प्रतिशत दर्ज की गईी, जबकि मई में यह 7.12 प्रतिशत थी।

सीएमआईई के प्रबंध निदेशक महेश व्यास ने बिना लॉकडाउन वाले महीने में बेरोजगारी दर में हुई इस बढ़ोतरी को सबसे ज्यादा बताया है। हालांकि उन्होंने ये जल्द ही ये स्थिति बदलने के संकेत भी दिए हैं। उन्होंने कहा कि रोजगार में गिरावट मुख्य रूप से ग्रामीण इलाकों में है। इन दिनों गांवों में खेती-बाड़ी की गतिविधियां सुस्त हैं। महेश व्यास ने कहा कि जुलाई में जैसे ही बुवाई शुरू होगी तब रोजगार को लेकर इस स्थिति के पलटने की पूरी उम्मीद है। उन्होंने कहा कि जून में भले ही 1.3 करोड़ रोजगार घट गए, लेकिन बेरोजगारी में केवल 30 लाख का इजाफा हुआ। रोजगार की कमी प्रमुख रूप से असंगठित क्षेत्र में हुई है। उन्होंने संभावना जताते हुए कहा कि कोरोना के कारण श्रमिकों के पलायन के कारण बेरोजगारी दर बढ़ी है। उन्होंने इसे चिंताजनक बताया। इसके अलावा उन्होंने जून 2022 में वेतनभोगी कर्मचारियों की 25 लाख नौकरियों के कम होने पर भी चिंता जाहिर की।

कोरोना काल से ज्यादा बढ़ी बेरोजगारी

आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) भारत की अर्थव्यवस्था पर नजर रखने वाली संस्था है, उसके अनुसार दिसंबर 2021 में बेरोजगारी दर बढ़कर 7.9 फीसदी हो गई। नवंबर में यह 7 फीसदी थी। एक साल पहले दिसंबर 2020 में बेरोजगारी दर 9.1 फीसदी से ज्यादा थी। हाल के दिनों में अनुभव किए गए स्तरों की तुलना में भारत में बेरोजगारी दर में वृद्धि हुई है। 2018-19 में बेरोजगारी दर 6.3 फीसदी और 2017-18 में 4.7 फीसदी थी।

हर छठा ग्रेजुएट युवा बेरोजगार

कोरोना संक्रमण की पहली लहर को काबू में करने के लिए लगाए गए लॉकडाउन की वजह से करीब 27 लाख लोगों की नौकरियां चली गई थीं। उत्पादन और निर्माण जैसे 9 क्षेत्रों में 25 मार्च 2020 से पहले 3.07 करोड़ कर्मचारी काम कर रहे थे। 1 जुलाई 2020 को इन्हीं 9 क्षेत्रों में कर्मचारियों की संख्या घटकर 2.84 करोड़ हो गई। यानी पहले लॉकडाउन में 23 लाख लोगों की नौकरियां चली गईं। जिनकी नौकरियां गईं, उनमें 16.3 लाख पुरुष और 6.7 लाख महिला कर्मचारी थीं। ग्रेजुएशन कर चुके युवाओं में बेरोजगारी दर सबसे ज्यादा है. पीएमलएफएस के 2019-20 के सर्वे के मुताबिक, ग्रेजुएट युवाओं में बेरोजगारी दर 17.2% है, जबकि अनपढ़ युवाओं में बेरोजगारी दर 0.6% है। अनपढ़ युवाओं की तुलना में पढ़े-लिखे युवाओं में ज्यादा बेरोजगारी दर के पीछे जानकारों का मानना है कि अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे लोग अपना छोटा-मोटा काम शुरू कर देते हैं, जबकि पढ़े-लिखे युवा अपनी योग्यता के आधार पर काम तलाशते हैं, जिस कारण उनमें बेरोजगारी दर ज्यादा होती है।

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